Tuesday 27 April 2021

बेगूसराय के अशोक शर्मा उर्फ सम्राट का साम्राज्य:प्रेम कुमार

बेगूसराय के अशोक शर्मा उर्फ सम्राट का साम्राज्य.

अशोक शर्मा भले ही मुजफ्फरपुर में एल एस कॉलेज के हॉस्टल के छात्रों द्वारा सम्राट घोषित किए गए लेकिन अपने रंगदारी का साम्राज्य उन्होंने सही मायनों में अपने दम,सूझबूझऔर बाहुबल पर बनाया था.
अपने समय में सम्राट बिहार के सबसे बड़े डॉन माने जाते थे,गौरतलब है कि तब झारखंड भी साथ ही था.
बेगूसराय और आसपास के छह सात जिलों में तो अपने समय में उनका सिक्का चलता ही था साथ ही गोरखपुर से लेकर बंगाल तक रेलवे के टेंडर उनके इशारे के बगैर नहीं खुलते थे.कोयले के कारोबार में भी उन्होंने हनक के साथ दखल दिया था.

मैं उन्हें इसलिए भी बेगूसराय का पहला मॉडर्न रंगदार मानता हूँ क्योंकि उनके पहले तक अपहरण,लूट,छिनतई और बहुत हुआ तो गाँजे की स्मगलिंग तक ही रंगदारों के कार्यक्षेत्र हुआ करते थे.
सम्राट ने कभी लूट,अपहरण, डकैती जैसे अपराध की तरफ पलट कर भी नहीं देखा और उन्होंने संगठित अपराध से ही अकूत पैसा पैदा करना सिखा दिया जिसे उनके आगे आनेवाले हर रंगदार ने अपनाया.
संगठित अपराध में भी खासकर रिफाइनरी के ठेकों और रेलवे के ठेकों पर ही उनकी खुद की दखल रहती थी बाकी ढ़ेर सारे अन्य विभागों के ठेके उनके इशारे पर उनके साथ रहनेवाले लोग उठाते थे.

सम्राट की खासियत यह रही कि उन्होंने बेगूसराय को अपने अभेद्य दुर्ग की तरह बरता.
इसलिए कभी यहाँ के लोगों को उन्होंने परेशान नहीं किया साधारण लोगों को उनसे कोई दिक्कत नहीं हुई शालीनता की वजह से लोग उन्हें जिले का बेटा मानते रहे.
वे खासे लोकप्रिय थे,अपनी छवि उन्होंने कमोबेश रॉबिनहुड सरीखी बनाई थी सो उनका एकछत्र राज था और कोई उन्हें चैलेंज नहीं कर पाया था.

उस समय जिले में चलनेवाले न जाने कितने ही गांवों के फुटबॉल, वॉलीबॉल, क्रिकेट जैसे टूर्नामेंटों के लिए वे खुले हाथों पैसा देते थे.
किसी भी जरुरतमंद की उनतक पँहुच हो जानी भर ही मदद के लिए काफी थी. गरीब गुरबा परिवारों को शादीब्याह, अगलगी जैसी घटनाओं के समय वे बिना सोचे समझे जैसे पैसा लुटा देते थे. कितने ही गांवों के पुस्तकालयों के लिए उन्होंने पैसा दिया होगा चूंकि वो खुद पढ़ेलिखे और जहीन थे सो उस समय एल एस कॉलेज में पढ़ने वाले कितने ही साधारण परिवार के लड़कों का खर्च बेहिचक उठा लेते थे शायद यही कारण रहा कि वे कभी भी पकड़े नहीं गए,उनकी कोई पहचान पुलिस के पास नहीं थी और कम से कम बेगूसराय जिले में उनपर कोई हमला नहीं हो पाया.
क्योंकि उनसे जुड़े और अनुगृहीत लोगों की ही इतनी बड़ी संख्या थी कि वो उनके लिए तगड़े इंटेलिजेंस का काम करते थे. 
ऐसी कोलंबिया के ड्रग कार्टेलों के सरगनाओं की रणनीति में देखने को जरुर मिलता है लेकिन बेगूसराय में सम्राट ने ही इसे अपनाया.

93 में बेगूसराय के एस पी रहे और बाद में राज्य के डी जी रहे गुप्तेश्वर पाण्डेय ने भी कई इंटरव्यू में कहा है कि सम्राट राजा था, हीरो था उसकी मर्जी के बगैर पत्ता भी नहीं हिलता था.
कहते हैं जब सम्राट का काफिला निकलता था तो पुलिस प्रशासन रास्ते से हट जाते थे शायद उनके पास तब के लिए अजूबा मानी जाने वाली ए के 47 का होना भी इसकी एक वजह थी.

उनके पास ए के 47 के होने का भी बड़ा अजीब किस्सा है.बिहार में सबसे पहले सम्राट के पास ही ए के 47 की खेप पँहुची थी. 
किंवदंतियाँ हैं कि तत्कालीन पंजाब के खालिस्तानी आतंकवादियों से होते हुए उन तक ए के 47 पँहुची थी.जबकि ज्यादा विश्वस्त थ्योरी ये है कि पंजाब के आतंकियों से जब्त ए के 47 को सरकारी मालखाने से उड़ा कर सम्राट तक पँहुचाया गया था. 
कहते हैं सम्राट तक ए के 47 बेगूसराय के रामदीरी गांव के मुन्ना सिंह के माध्यम से पँहुची थी जिसका अपुष्ट सूत्रों के अनुसार पहला प्रयोग बरौनी के जीरोमाइल के पास एक ठेकेदार की हत्या में सम्राट ने किया. हाल में ही कुछ दिनों पहले मुन्ना सिंह मारे गए.
मुन्ना सिंह तक ए के 47 पँहुचने के पीछे का किस्सा उस समय के बहुत से लोगों को पता होगा पर आजतक उस पर कोई बात नहीं करता क्योंकि बेगूसराय में रामदीरी एक से एक भूपों की स्थली रही है सो इससे कन्नी काटना ही बेहतर है.

गुप्तेश्वर पाण्डेय ने बेगूसराय के एस पी रहते हुए खूब नाम कमाया जिले में 42 एनकाउंटर उनके नाम है लेकिन सम्राट ने उनको अपनी हवा तक लगने नहीं दी.
बहुत पीछे पड़ने पर सम्राट ने दो या तीन ए के 47 रायफल और दो सौ राउंड गोली बक्से में रख कर अपने आदमियों से रात में गुप्तेश्वर पाण्डेय के एस पी कोठी के सामने फेंकवाया था जिसकी बरामदगी ने एस पी साहब के जलते मर्मस्थल पर फाहे का काम किया.
जबकि सम्राट के पास के ए के 47 के जखीरे में कोई खास कमी नहीं आई क्योंकि उसके बाद भी वो 47 का प्रयोग बदस्तूर करते रहे.

क्रमशः

(मेरे बचपन का जिगरी दोस्त जिसकी 2011 में मौत हो चुकी है मुजफ्फरपुर में ही पढ़ता था और हॉस्टल में रहने के साथ ही मेरे जैसी प्रवृत्ति का ही होने की वजह से सम्राट से गहरे जुड़ा था सो उसका अहसान है मुझपर की उसके द्वारा ढ़ेरों फर्स्टहैंड जानकारियां मुझे आपसी बातचीत में ही मिलीं थीं)

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