Wednesday, 8 June 2016

Penalty (Arman Anand) अनुवादक Prasanta Chakravarty

मूल कविता अरमान आनंद
शोध छात्र हिंदी विभाग बी एच यू
अनुवादक Prasanta Chakravarty
प्रोफेसर (अंग्रेजी)दिल्ली यूनिवर्सिटी दिल्ली
May 1 at 1:26pm · Edited ·

जुर्माना (अरमान आनंद )
_______
तुम मुझे
जब गौर से देखोगे
मेरे होठों पर मिलेंगे
मेरे माशूका के दांत
मेरी पीठ पर मेरी बीवी के नाख़ून
झुके हुए कन्धों पर टंगा हुआ दफ़्तर
मेरी ऊंगली के काले धब्बों पर
चुनी हुई सरकार
और नीचे से
ठोंक दिया गया है मेरा संस्कार

मैं
हर रोज़
आदमी होने का
जुर्माना भरता हूं

***

Penalty (Arman Anand)
_______
When you shall
Look at me closely
On my lips
You shall trace my darling’s teeth
On my back, fingernails of my wife
On my drooping shoulders, the office hanging
Within the black smears on my finger tips
The elected government
And from underneath
They have hammered in my culture

Every passing day
I
Pay the penalty
For being a man
***

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...