रंडी
―कुछ साल पहले की बात है मारिया शारापोवा को “रंडी” सिर्फ़ इसलिए कहा गया क्योंकि वह सचिन तेंदुलकर को नहीं जानती थीं!
सोना महापात्रा “रंडी” हो गयीं क्योंकि वो सलमान ख़ान की रिहाई सही नहीं मानती थीं!
सानिया मिर्ज़ा से लेकर करीना कपूर तक हर वो सेलेब्रिटी “रंडी” है जिसके प्रेम ने मुल्क और मज़हब की दकियानूसी दीवारों को लांघा!
वह चौदह साल की लड़की भी उस दिन आपके लिए “रंडी” हो जाती है जिस दिन वह आपका प्रपोज़ल ठुकरा देती है और अगर कोई लड़की आपके प्रेम जाल में फंस गयी तो वह भी ब्रेक-अप के बाद “रंडी” हो जाती है!
जीन्स पहनने वाली लड़की से लेकर साड़ी पहनने वाली महिला तक सबका चरित्र आपने सिर्फ़ “रंडी” शब्द से परिभाषित किया है!
बोल्ड और सोशल साइट पर लिखने वाली महिलाओं को अपना विरोध या गुस्सा दिखाने के लिए कुछ लोग फ़ेसबुक पर इन (रंडी वैश्या छिनाल) शब्द को सरेआम लिख/बोल रहे हैं। परंतु.....
रंडी शब्द ना तो आपका विरोध दिखाता है, ना ही आपका गुस्सा। ये सिर्फ़ एक चीज़ दिखाता है, वह है आपकी घटिया मानसिकता और नामर्दानगी।
मगर क्यों? क्योंकि कहीं ना कहीं आपको लगता है कि औरतें आपसे कमतर हैं, और जब यही औरतें आपको चुनौती देती हैं तब आप बौखला जाते हैं और जब आप किसी औरत से हार जाते हैं तब आप बौखलाहट में अपना गुस्सा या विरोध दिखाने के लिए औरत को गाली देते हैं, उसे “रंडी” कहते हैं ! मगर “रंडी” शब्द ना तो आपका विरोध दिखाता है ना ही आपका गुस्सा, ये सिर्फ़ एक चीज़ दिखाता है, वह है आपकी “घटिया मानसिकता"
रंडी-वेश्या कहकर हमें अपमानित करने की लालसा रखने वाले ऐ कमअक्लों, एक पेशे को गाली बना देने की तुम्हारी फूहड़ कोशिश से तो हम पर कोई गाज़ गिरी नहीं। पर अपनी चिल्ला-पों और पोथी-लिखाई से छानकर क्या तुमने इतनी सदियों में कोई शब्द, कोई नाम ढूंढ़ निकाला ?
कोई इस समाज को समझा सके कि पुरुष का पौरुष संयम और सदाचार से बढ़ता है। तुम हमें रंडी, वेश्या कहते हो, हमारा बलात्कार करते हो, हमारे शरीर को गंदी निगाहों से देखते हो, हमें पेट में ही मार देते हो, सरेआम हमारे कपड़े फाड़ते।
कभी देखा है किसी रंडी को तुम्हारे घर पर कुंडी खड़का कर स्नेहिल निमंत्रण देते हुए ?? नहीं न !!! ….वो तुम नीच नामर्द ही होते हो, जो उस रंडी के दरबार में स्वर्ग तलाशने जाते हो
आशीष आज़ाद
(पूर्व छात्र बीएचयू)
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