हताशाएं होंगी
निराशाएं होंगी
सभ्यताओं ने छीनी हैं खुशियाँ
भूल गए हम लड़ने-जीने का हुनर
दुनिया का अंत तय है
लेकिन न तारीखों में
न विश्वयुद्ध में पानी के लिए
पानी की नदियों से ज्यादा आँखों में जरूरत है
एक दिन नींद की गोलियों में सो जायेगी दुनियां
आत्महत्याओं में ख़त्म हो जायेगी ये दुनियां
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