1 और ऊँची उठा बुतें दीवारें मजलूमों की चीखें
मैं कलम हूँ लिख के जाऊंगा तू कुछ भी नहीं था
©अरमान
मैं कलम हूँ लिख के जाऊंगा तू कुछ भी नहीं था
©अरमान
2.अगर नींद आ जाये तो सो भी लिया करो
रात भर जागने से मुहब्बत लौटा नहीं करती
अरमान
रात भर जागने से मुहब्बत लौटा नहीं करती
अरमान
3.अता कर मेरे इश्क को वो जुनूँ मौला
वो हाथ उठाये मेरी कब्र की मिट्टी उड़े
©अरमान
वो हाथ उठाये मेरी कब्र की मिट्टी उड़े
©अरमान
4.वो रात भर बस जागती है कि मुझे देख सके चैन से
और मैं परेशां हूँ उसकी बेचैनी देख कर
और मैं परेशां हूँ उसकी बेचैनी देख कर