कथाचोर का इकबालिया बयान
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कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की :
जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थी। मैं काफ़ी अकेलापन महसूस करती थी। मेरे भीतर एक void बन गया था। जिसे मैं कुछ का कुछ करते हुए भरती रहती थी। मैं डिप्रेशन सर्वाइवर हूँ। ...और देखिए तो सुधिजनों! तबसे मेरा बहुत विकास हुआ है। अब मैं इस तरह सत्य आरोपों से भी अपनी अनूठी मौलिक शैली में लड़ सकती हूँ
लोगों ने लेखिका से भिन्न स्वरों में सहानुभूति ज़ाहिर की :
यू आर अ रियल फ़ाइटर
तुम मेरी (पसंदीदा) हो और रहोगी
चोरी तो वाल्मीकि भी करते थे फिर इतने बड़े राइटर बने कि उन्हें गीता प्रेस ने छापा
आसमान पर थूकने से थूक चिड़िया पर ही गिरेगा
तुम लिखती रहो, मुझे इंतज़ार रहता है
हमारी एकता जिंदाबाद
शारदीय नवरात्र की शुभकामनाएँ!
घटना के उपसंहार में चोरी जैसे अमर्यादित शब्द को असाहित्यिक घोषित करते हुए, लेखिका ने सबको धन्यवाद कहा।
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