Thursday, 31 October 2013

प्रेम कविता - अरमान आनंद

मेरे जीवन का पहला गीत

जो मैने तेरे साथ गाया था

मेरे प्यार की तरह अधूरा  है

मेरा बचपन तेरे स्कूल के पुराने बस्ते में कहीं पड़ा है

और मेरे पास रह गया है

तेरा आखिरी चुम्बन उधार की तरह

दिन की रौशनी  दुनिया  अधूरी दिखाती है

रात के अंधेरे में तुम उभर आती हो जेहन में 

सुकून क़ी तलाश में

मैंने ना जाने  कितनी छातियाँ टटोल डाली

प्यार की तलाश में  कितने दिलों के गुलल्क तोड़ डाले

तेरी खुशबू पा सकूं सो कितने जूड़े खॊल डाले

कहाँ मिली तुम

नहीं मिली

क्यों नहीं लौट आते तुम मेरी पहली मुहब्बत

तेरे बिना दिल जंगल होता जा रहा है।...

अरमान आनंद

अँधेरे में

डूबता हुआ यह अँधेरा
और गहरा 
और गहरा
क्या जल्दी सबेरा लायेगा?
कहीं इस अँधेरे ने
सूरज को निगल लिया हो
कहीं सूरज अँधेरे में जाकर बस ना गया हो
निकला भी तो कहीं अँधेरे से सांठ-गाँठ कर के न निकले
सुबह के इंतज़ार में जनता अँधेरे की अभ्यस्त हो गयी तो
अँधेरा सवाल है
कई कई सवाल
कई कई आशंकाएं
अँधेरा चुप निः स्तब्ध
चोरों को भी  इंतज़ार रहता है अँधेरे का
मासूम जानवरअँधेरे में सो जाते है
उल्लू अँधेरे में ही देख पाता है
नेताओं को दिन में भीअँधेरा चाहिए
कितना अंधेर है
और इतनाअँधेरा
मैं जाग रहा हूं अँधेरे में
टटोल टटोल कर जगा रहा हूँ  आँखें
हाथ को मशाल ढूंढती है
निराशा को आशा
मृत्यु को जीवन
नीरस को रस
असत्य को सत्य
ये युद्ध का आरंभ है
पराजय को विजय ढूंढती है
अँधेरे में अँधेरे को खत्म करने के लिए  रौशनी ने ढूंढना शुरू कर दिया है।
छोडो सूरज का इंतज़ार
देखो दिया कहाँ है.... ....
अरमान

विचार

# सभ्यता के विकास की कहानी समाज में नैतिकता के ह्रास तथा हिंसा के विकास की भी कहानी है। राम ने भाई के लिए राज्य त्याग दिया वहीँ कृष्ण ने राज्य लिप्सा कोअधिकार कह कर गीता का उपदेश दिया और भाइयों के खूनसे महाभारत की गाथा लिखी। रावण सीता का अपहरण तो करता है परंतु स्पर्श नहीं करता। वहीँ अपनी बीबी को जुए में दांव पर लगाने वाले पांडव और भाभी को जंघा पर बैठने काआमन्त्रण देने वाले कौरवों की कथा विकसित समाज की कथा है। निश्चय  ही विकास और आधुनिकता का सम्बंध कहीं भी नैतिकता के िवकास से नहीं है। आधुनिकता समय मात्र के सापेक्ष होती है। समय समाज में  नैतिकता के ह्रास का साक्षी भी है। सतयुग से कलयुग का सफ़र इसका प्रमाणहै।
आधुनिकता समय मात्र के सापेक्ष होती है। अर्थात मूल्यों के  विकास और मनुष्यता को भी आधुनिकता आपने एजेंडे और आयाम में रखती तो यह समाज के लिए हितकारी सिद्ध होती। परन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है समय मात्र के आधार पर हम पुरानाऔर नया तय कर रहे। खासकरआज के समाज में  यह प्रवृतिऔर भी अधिकहै जब इसने पुराने को विकृत मान कर त्याग दिया है। पुरानी परंपरा में जो शोध रूप में था ,व्यवस्थित था । समाज और संवेदनाओं के लिए हितकारी था उसका भी परित्याग कर दिया।
सनद रहे आधुनिकता को इतिहास के सापेक्ष होना चाहिए न कि समय के।..
#शर्तों से बंधी आजादी और गुलामी में बस शब्दों की हेराफेरी है।-अरमान

#भ्रष्टाचार मुक्त देश नेता नहीं नैतिकता बनाएगी। आप अपने चरित्र में तरक्की करें देश खुद आगे बढ़ेगा। अरमानआनंद

#सत्ता की स्थापना के लिए स्वयं का सांस्कृतिक संलयन और विपक्ष का सांस्कृतिक विघटन आवश्यक होता है।- अरमान

#गुजरात से दो लोग चले... भारत बदलने का सपना लेकर महात्मा गाँधी और मोदी.... गाँधीका सपना राम राज्य... मोदी का राम का ही राज्य हो...
# "शून्य" का जन्म भारत में हुआ। आज सम्पूर्ण भारत शून्यता रोग से ग्रस्त है। सांस्कृतिक शून्यता बौद्धिक शून्यता राजनैतिक शून्यता आर्थिक शून्यता.. काश हम शून्य से आगे भी सोच पाते...

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