Thursday, 31 October 2013

विचार

# सभ्यता के विकास की कहानी समाज में नैतिकता के ह्रास तथा हिंसा के विकास की भी कहानी है। राम ने भाई के लिए राज्य त्याग दिया वहीँ कृष्ण ने राज्य लिप्सा कोअधिकार कह कर गीता का उपदेश दिया और भाइयों के खूनसे महाभारत की गाथा लिखी। रावण सीता का अपहरण तो करता है परंतु स्पर्श नहीं करता। वहीँ अपनी बीबी को जुए में दांव पर लगाने वाले पांडव और भाभी को जंघा पर बैठने काआमन्त्रण देने वाले कौरवों की कथा विकसित समाज की कथा है। निश्चय  ही विकास और आधुनिकता का सम्बंध कहीं भी नैतिकता के िवकास से नहीं है। आधुनिकता समय मात्र के सापेक्ष होती है। समय समाज में  नैतिकता के ह्रास का साक्षी भी है। सतयुग से कलयुग का सफ़र इसका प्रमाणहै।
आधुनिकता समय मात्र के सापेक्ष होती है। अर्थात मूल्यों के  विकास और मनुष्यता को भी आधुनिकता आपने एजेंडे और आयाम में रखती तो यह समाज के लिए हितकारी सिद्ध होती। परन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है समय मात्र के आधार पर हम पुरानाऔर नया तय कर रहे। खासकरआज के समाज में  यह प्रवृतिऔर भी अधिकहै जब इसने पुराने को विकृत मान कर त्याग दिया है। पुरानी परंपरा में जो शोध रूप में था ,व्यवस्थित था । समाज और संवेदनाओं के लिए हितकारी था उसका भी परित्याग कर दिया।
सनद रहे आधुनिकता को इतिहास के सापेक्ष होना चाहिए न कि समय के।..
#शर्तों से बंधी आजादी और गुलामी में बस शब्दों की हेराफेरी है।-अरमान

#भ्रष्टाचार मुक्त देश नेता नहीं नैतिकता बनाएगी। आप अपने चरित्र में तरक्की करें देश खुद आगे बढ़ेगा। अरमानआनंद

#सत्ता की स्थापना के लिए स्वयं का सांस्कृतिक संलयन और विपक्ष का सांस्कृतिक विघटन आवश्यक होता है।- अरमान

#गुजरात से दो लोग चले... भारत बदलने का सपना लेकर महात्मा गाँधी और मोदी.... गाँधीका सपना राम राज्य... मोदी का राम का ही राज्य हो...
# "शून्य" का जन्म भारत में हुआ। आज सम्पूर्ण भारत शून्यता रोग से ग्रस्त है। सांस्कृतिक शून्यता बौद्धिक शून्यता राजनैतिक शून्यता आर्थिक शून्यता.. काश हम शून्य से आगे भी सोच पाते...

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...