Saturday 20 January 2018

स्मगलर -(कहानी)- शशि कुमार सिंह

स्मगलर
रात से ही बॉर्डर पर ट्रकों की लम्बी कतार थी.वह भी ट्रक लेकर जल्द से जल्द निकलने की जद्दोजहद में था.वह बार-बार पुलिस वालों से कहता कि ''मुझे जाने दो.मेरा जाना जरूरी है.मैं बहुत जरूरी सामान लेकर जा रहा हूँ.अगर समय पर नहीं पहुँचा तो अनर्थ हो जाएगा.''
पुलिस वालों ने एक सुर में कहा,''हम तलाशी लेंगे.आखिर हम देखें तो, इसमें  है क्या.''
''क्या आप हमारे ऊपर विश्वास नहीं करते.चार सालों से मैं इसी रास्ते से आ-जा रहा हूँ.''उसने कहा.
''हाँ, मगर हमने कभी तुम्हारा ट्रक चेक नहीं किया.''
''साहब ट्रक चोरों का चेक किया जाता है.मैं कोई चोर थोड़ी हूँ.''
''मैं तुमको चोर कहाँ कह रहा हूँ?मगर हम देखें कि इसमें क्या लदा है.''एक पुलिस वाले ने कहा.
''साहब जब पहले चेक नहीं किया तो अब क्यूं चेक कर रहे हैं.आखिर विश्वास भी कोई चीज होती है कि नहीं.मैं क्या आपको स्मगलर नजर आ रहा हूँ.और मेरे पहले जो लोग ट्रक लेकर गए थे,वे क्या शरीफ थे?ईमानदार थे?''
''नहीं, तुम देखने में बेहद शरीफ हो.''
''देखने में नहीं साहब.हूँ ही.''
पुलिस वालों ने यह मान लिया कि विश्वास भी कोई चीज़ है.
लोग बड़ी बेसब्री से उसकी प्रतीक्षा कर रहे थे.ठीक उसी समय वह ट्रक लेकर हाज़िर हुआ.सबकी ही नहीं उसकी भी खुशी देखने लायक थी.उसने प्रशंसा के लिए सबकी तरफ निगाह दौड़ाई.लोगों ने प्रशंसा की.वह फिर बहुत खुश हुआ.सबको लग रहा था कि यह ट्रक ड्राईवर ही हमारे दुखों को सदा-सदा के लिए दूर करेगा.
युवाओं ने बढ़कर ट्रक का फाटक खोला.देख कर सभी भौंचक.उस पर बेसन लदा था.सभी ने बेसन उतारा और पकौड़ी की दूकान खोल ली.युवाओं ने उस ट्रक ड्राईवर का जोर से जयकारा लगाया.अभी सब खुश हैं.उस ट्रक ड्राईवर ने वाकई लोगों के दुखों को सदा-सदा के लिए दूर कर दिया था

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