Friday, 1 November 2013

मौत के बाद क्या है? ( कविता)

ऐ रहगुजर , इतना बता मेरी मंजिल क्या है?
जिस रास्ते से गया है वो, वो रास्ता क्या है?
ये बिखरती राहें मुझे क्यूँ खींचती हैं
हूँ भटकता जिसकी चाह में , वो आरजू क्या है?
    जिन्दगी के तार पर मौत की रागिनी है छेड़ी,
    एक तार पकड़ खड़ा हूँ
    पर वो दूसरा तार क्या है?
    जी करता है उसे छेड़ दूं मगर,
    पता नहीं इसके बाद मौत मिले या जिन्दगी,
    मौत से प्यार है
    मगर , मौत के बाद क्या है??
     -अरमान आनंद
{ नोट-यह कविता फ़रवरी 2005में घूमता चक्र नाम की मासिक पत्रिका में आई थी।पत्रिका पटना बिहार  से निकलती थी। तब मैं 12वीं में था }

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...