Monday, 11 May 2015

आज जाने की जिद न करो

आज जाने की जिद न करो

यूं ही पहलू में बैठे रहो

आज जाने की जिद न करो

कि तुम जो रुक जाओ

आज

आज की साँझ ढलेगी नहीं

यहीं किसी मेज के नीचे से निकल आएगी यमुना

और विस्की की ये बोतल

बदल जायेगी बांसुरी में

इस कैंडल की लाइट

भक्क से टूटेगी

और आसमान में आधे चाँद सा

उल्टा लटक जायेगी

आज जाने की जिद न करो

यूँ ही पहलू में बैठे रहो

आज जाने की....




रहने दो

कि मम्मी डैडी को समझा लेना कुछ बहानों से

कह देना

नेहा की बर्थडे पार्टी थी

और शबाना आंटी ने रोक लिया था

डैडी से कहना एग्जाम की तैयारी के लिए रुक रही हो आज की रात

किसी सहेली के घर पर

खुद से भी कह देना एक झूठ

कि तुम

नशे में थी

कि आज जाने क़ी ज़िद न करो




निकालो

अपनी जीन्स से रेशमी रुमाल

और फैला दो अपने आँचल की तरह

इससे पहले कि हमें कोई बोरियत के मायने समझाए

कुछ देर तलक हम बेतरह प्यार करें

इस से पहले कि हमारे झगडे मतभेदों में बदल जाए

हमें लगने लगे कि हम शायद एक दूसरे के लिए नहीं बने थे

और यह बार बार हो

हर एक बार हो

और जब हम पर

मैं

हाई हील वाली सैंडल पहन कर इतराने लगे

और तुम

मुझे सिर्फ इस लिए छोड़ दो

कि मैंने सलमान की जगह

मनोज वाजपेयी की फ़िल्म तुम्हे दिखा दी

इससे पहले कि तुम्हे पता चले

मैंने अपने पिता की 10 बीघे की जमीन

जिसके चार पटीदार हैं

तुम्हें 1000 एकड़ की बताई है

इस दफे गेहूँ को भी तुम्हारे मनपसंद रेन डांस के रेन ने तबाह कर दिया है।

बाबूजी का दिल इसी गम में झट्के ले रहा है

जैसे पुराने एम्बेसडर के करबोरेटर में कचड़ा फंस गया हो

तुम्हे पता है?

मैं बिहार से दिल्ली उसी तरह पढ़ने आया हूँ

जैसे

हावड़ा अमृतसर से पंजाब

और जनसाधारण में पटना से दिल्ली मजदूर आते हैं

इससे पहले कि तुम यह जान लो

आइसा मेरी मजबूरी है और तुम्हारा शौक

दोस्त के कमरे पे उधार में रहकर खाना बनाने के बदले

मिल जाती है उसकी बाइक

जिसपर मैं तुम्हे

मैं चाँद के पार ले जाने के सपने देखता हूँ।

कल तुम्हे डिस्को लेजाने के लिए

मैंने अपने स्पर्म और खून बेचे हैं।

ये जानने से पहले

कि मेरा इश्क मेरे पॉकेट में रोशनाई छोड़ चुकी कलम और

मेरी कमर के फाड़े में खोंसा हुआ कट्टा है

ये सब जानने से पहले आज

बस आज

तुम जाने की जिद न करो

आज जाने की जिद न करो




सहम जाता हूँ

जब किसी हंक और स्टड को तुम देखती हो

मेरी बाइक के पीछे बैठ बी एम् डब्ल्यू पर नजर फेंकती हो

देखो मैंने खरीदी है लिए

ये ड्रेस

इसमें तुम्हारे वक्ष आजादी की लड़ाईयां लड़ रहे हैं

मैंने इस अप्रैल कोई किताब नहीं खरीदी

मैंने बहुत कुछ किया है

जो तुम्हारी नजर में कुछ भी नहीं हो सकता है

इस लिए आज

आज जाने की जिद न करो

यूं ही पहलू में बैठे रहो

हम तो मर जायेंगे

हम किधर जायेंगे

ऐसी बातें किया न करो

आज जाने की जिद न करो...




अरमान आनंद

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