Thursday, 6 July 2017

सायकिल

साइकिल
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गांव में था
तो लड़कियों के पास उतनी सायकिलें नहीं थीं
जितना लड़कों के पास थीं

किताब और अपने दिमाग के बीच का रास्ता पांव से तय करती थीं

गांव के लड़के
अपनी सायकिल के हैंडिल में चाइनीज हॉर्न लगवाते
कैसेट के रील की झालर लटकाते
करिश्मा कपूर की तस्वीर वाली बरसाती
या फिर वो
जिसमे लिखा होता

फिर मिलेंगे

लड़कियों को रिझाने के लिए रोज बालों में करू तेल लगा कर चमकाया जाता
गुटखाखोर मुंह में तिरंगा दबाए आई लभ यू बोलने की प्रैक्टिस होती
छोटका भाई के हाथ मे लेमनचूस और पॉकेट में चिट्टी दे कर
फ्री मैसेजिंग का मजा लिया जाता

लड़कियों के सपनों में हरी काली लाल साइकिलें होती
जिस पर सवार लड़का उसे शहर घूमने का वादा करते
खेत के रास्ते सिनेमा हॉल तक ले जाता था

कभी कभी अंधेरे मुंह
प्रेमियों को लेकर सायकिलें
पंजाब भाग जाया करती थीं

मेरे कॉलेज के दिनों में पता चला
सरकार ने
लड़कियों को सायकिलें दिलवा दीं
लड़कियां
अब गुलाबी साइकिलों  से लड़कियां पढ़ने स्कूल जाने लगी
आगे वाली डोलची में
बस्ता रखे हुए

लड़के मोटरसाइकिल के सपनों में मशगूल हो गए

जब शहर आया
अधिकांश लड़कियां सायकिल चढ़ चुकी थीं
ये स्कूटी का जमाना था

एक स्कूटी पर तीन तीन की खेप में महिला महाविद्यालयों से निकलतीं

लेकिन सायकिल
अब भी टुनटुनाती हुई उनके जीवन मे आजाती
कभी प्रेम दिन में

कभी सुहाग रात में

अरमान आनंद

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