वादापूर्ति
देश की संसद में बड़े ही अहम मुद्दे 'धर्मोत्थान और सरकार का दायित्व' विषय पर बहस हो रही थी.सत्ताधारी सनातन दल का कहना था कि,''सरकार ने इतने कम समय में अपने सारे वादे पूरे कर दिए.जनता बड़ी खुशहाल है.अब उसे करने के लिए कोई नया प्रोजेक्ट चाहिए.''
अध्यात्म मंत्री ने कहा,''किसी भी समाज का वास्तविक विकास उसके आध्यात्मिक उत्थान में निहित है.यदि सरकार चाहे तो मैं बहुमूल्य सुझाव दूं.भगवान् राम की 100 मीटर ऊँची प्रतिमा स्थापित की जाए.''
रोजगार मंत्री ने कहा,''मैं अध्यात्म मंत्री की बात का समर्थन करता हूँ.देश की जनता को उनके गौरव का बोध कराना अति आवश्यक है.''
संसद ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि भगवान् राम की प्रतिमा स्थापित होगी और उसकी लम्बाई 100 मीटर होगी.सिर्फ सर्वहारा दल ने इसका विरोध किया.सभी माननीय सदस्यों ने सर्वहारा दल के सदस्य की तरफ मुँह करके 'शेम शेम' का जयघोष किया.
अनुदार दल के नेता ने कहा,''सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है.मगर मैं इससे प्रसन्न नहीं हूँ.''
सभी सदस्यों ने दलीय भावना से ऊपर उठकर पूछा, ''क्यों, माननीय सदस्य को इसमें क्या आपत्ति है?स्पष्ट करें.''
अनुदार दल के नेता ने अपनी आपत्ति को स्पष्ट करते हुए कहा, ''देखो हमारी संस्कृति संयुक्त परिवार की पक्षधर है.हमारे आराध्य भगवान् राम का भी संयुक्त परिवार में विश्वास है.वे संयुक्त परिवार में ही जन्में, पले और बढ़े भी.इसलिए सिर्फ भगवान् राम की ही नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की प्रतिमा स्थापित हो.''
रोजगार मंत्री ने हनुमान, सुग्रीव, अंगद, विभीषण, नल और नील की भी प्रतिमा स्थापित करने का सुझाव दिया.
स्वास्थ्य मंत्री ने इसके लिए अस्पतालों की भूमि दान में देने की भी घोषणा की.
शिक्षा मंत्री का भी कहना था कि विश्वविद्यालयों से सिर्फ देशद्रोही पैदा हो रहे हैं.इसलिए विश्विद्यालयों की भूमि का भी इस्तेमाल इस धार्मिक अनुष्ठान में किया जा सकता है.
थोड़ी आनाकानी के पश्चात् ये सारे प्रस्ताव पारित हो गए.
'मुस्लिम अवाम मजलिस' के अध्यक्ष ने भी फ़रमाया, ''वैसे तो हम बुतपरस्ती के सख्त खिलाफ हैं मगर हमें भी अपनी कौम को मुँह दिखाना है.हम चाहते हैं कि हमारी कौम के लिए बहुमंजिला मस्जिद बने.हमें त्योहारों में नमाज़ पढ़ने में परेशानी होती है.सड़कों पर पढ़ना पड़ता है.सदन यह भी ख्याल रखे कि शिया और सुन्नी की मस्जिदों की संख्या बराबर न हो और इन मस्जिदों के दरम्यान पर्याप्त दूरी हो.''
धर्मनिरपेक्षता नहीं बल्कि पंथनिरपेक्षता का हवाला देते हुए सदन ने यह प्रस्ताव भी पारित कर दिया.
आदिम जनजाति अधिकार मोर्चा के सदस्य ने कहा,''देखिये हम आप सबकी आस्था का ख्याल रखते हैं.हमारी भी आस्था का ख्याल रखा जाए, हम भी अपनी कौम के बीच जायेंगे, तो क्या मुँह दिखाएँगे?अतः मैं सदन से निवेदन करता हूँ कि हमारे आराध्य इष्टासुरजी की प्रतिमा भी स्थापित की जाए.''
सिखों, ईसाइयों और बौद्धों को भी अपनी-अपनी कौम को मुँह दिखाना था, इसलिए उनकी मांगें भी मान ली गयीं.
सर्वहारा दल के नेता ने कहा, ''हमें भूख और गरीबी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए.हम इक्कीसवीं शताब्दी में धार्मिक मसलों में उलझे हुए हैं.जबकि किसी भी ईश्वर या अल्लाह का कोई अस्तित्व नहीं है.सब हमारी कल्पना की उपज हैं.हमें स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय,अस्पताल आदि स्थापित करने के लिए जनता ने चुना है.और हम यहाँ मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में उलझे हुए हैं.आप सभी माननीय सदस्यों से निवेदन है कि कृपया हमें इस बात से अवगत कराएं कि क्या आपने जनता से यही वादा किया था?''
अध्यक्ष समेत सदन के सभी माननीय सदस्य चौंके.मार्शल तो अपनी हँसी नहीं रोक पा रहे थे.
सर्वहारा दल के नेता की बात सुन सनातन धर्म के नेता आपे से बाहर हो गए.उन्होंने सबसे पहले उन्हें 'देशद्रोही' की उपाधि से नवाजकर उनके इस कृत्य की भर्त्सना की.पाकिस्तान जाने की सलाह देते हुए और साथ ही अपना मेनिफेस्टो हवा में लहराते हुए सदन को अपनी ओजस्वी वाणी से कम्पायमान करते हुए कहा, ''धर्म के खिलाफ तुम्हारी एक बात भी बर्दाश्त नहीं की जायेगी.तुमने असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है.तुम्हें माफी मांगनी होगी.और देखो हमने लिखित में जनता से वादा किया है कि हम मंदिर बनायेंगे.मूर्ति-निर्माण उसी का हिस्सा है....यहाँ तक कि हमने श्मशान और कब्रिस्तान का भी वादा लिखित रूप में किया है.हमारे यहाँ सब कुछ लिखित रूप में रहता है.हमारा मेनिफेस्टो पारदर्शी है.और ये मेनिफेस्टो नहीं अपितु हमारे लिए 'संकल्प पत्र'है.बल्कि मैं तो यह कहूँगा कि हम बहुमत में हैं इसलिए हमें सिर्फ मूर्ति ही नहीं अनेक मंदिर निर्माण की भी अनुमति मिले.''
अनुदार दल के नेता ने ललकारते हुए सनातन दल के नेता की कायरता पर क्षोभ प्रकट किया,''आपसे कुछ नहीं होगा.आप सदन और सदन के बाहर बहुमत में हैं.आपको किससे अनुमति लेनी है?जाकर चूड़ियाँ पहन लो.''
सभी माननीय सदस्यों ने कहा कि हम बहुत अहम मसले पर बहस करने के लिए एकत्र हुए हैं.यह आपस में लड़ने का समय नहीं है.हमें इस सर्वहारा दल के नेता के बारे में कुछ सोचना होगा.
'मुस्लिम अवाम मजलिस' के अध्यक्ष भी मज़हबविरोधी बातें सुनने को तैयार न थे.'लाहौल विला कूवत' का उच्चारण करते-करते वे अपनी जगह खड़े हो गए और उचककर सामने की मेज पर चढ़ने की कोशिश करने लगे.
सभी माननीय सदस्यों ने सर्वहारा दल के उस सदस्य के प्रति रोष प्रकट किया.सदस्यों के निवेदन पर अध्यक्ष ने मार्शलों को आदेश दिया कि वे सर्वहारा दल के उस अमाननीय सदस्य को उठाकर सदन से बाहर फेंक दें.मार्शलों ने अविलम्ब आज्ञा-पालन किया.
मूर्ति, मंदिर, मस्जिद आदि के लिए जगह की किल्लत को देखते हुए सदन ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि सभी स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, पुस्तकालय, अस्पताल आदि तोड़ दिए जाएँ.अस्पतालों के न रहने से.श्मशान और कब्रिस्तान भी गुलज़ार हो जायेंगे.सरकार का एक और लिखित वादा भी पूरा हो जाएगा.जनता भी इस आध्यात्मिक माहौल में प्रसन्न रहेगी.
समस्त माननीयों ने अपनी-अपनी कौमों को जाकर खुशी-खुशी मुँह दिखाया.कौमों ने प्रतिनिधियों के वादापूर्ति पर प्रसन्न होकर इतने जोर का जयकारा लगाया कि सभी मूर्तियों, मस्जिदों, गुरुद्वारों, गिरजाघरों आदि पर बैठे हुए पंछी उड़ गए.
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