Saturday, 15 June 2013

चेहरे

जब कोई कहता है
दुनिया में
हर चेहरे के
दो चेहरे होते हैं
और
हर चेहरे से दिखने वाले
सात चेहरे
मैं मुस्कुराता हूँ
मेरी आँखें
अम्मा और बाबूजी की
तस्वीर पर टंग जाती है।

अरमान आनंद

Saturday, 1 June 2013

घर

एक छत जिसे दुनिया पिता कहती है।
एक दीवार जो माँ कहलाती है।
इस घर की खिड़की कितनी हसीन दिखती है ये दुनिया....

जब से घर से निकला हूँ....दुनिया का चेहरा स्याह पड़ता जा रहा है।
दूर से मेरा घर आज हसीन नज़र आ रहा है।...

औरत © armaan anand

वह एक लड़की की तरह दौड़ कर आई
उसने माँ की तरह मुझे सीने से चिपका लिया
वह एक बहन की तरह सुनती रही मेरे दर्द को
एक वेश्या की तरह उसने गम के अपने अन्दर निचोड़ लिया
मुझे मर्द बनाने वाली उस औरत के कई चेहरे हैं
और आज कई चेहरों वाली ये दुनिया मुझे अच्छी लग रही है।
अरमान

ख़ूबसूरत

तुम बहुत ख़ूबसूरत हो
मै
मैं तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ
अगर मैं इजाजत न दूं तो
तो भी मैं चाहता रहूँगा
कल अगर मैं खूबसूरत ना रही तो
तो हमारे प्यार से हमारा कल ख़ूबसूरत होगा
और मैं न रही तो
हम या तुम तो आते जाते रहेंगे
मगर प्यार
ये खूबसूरत है और ये हमेशा रहेगा..

प्रेम कविता9

मैं
प्यार में हूँ
मैं तब भी था
जब तुम नहीं थी
जब कुछ भी नहीं था
मेरा जन्म ही प्यार से और प्यार के लिए हुआ है
दुनिया का सारा संघर्ष इसी के लिए तो है
सारे दर्शन इसी से तो हैं
मैं रहूँगा
प्यार में हमेशा
अनंत कालों तक
तुम्हें आना होगा
बार बार
जब भी प्यार बुलाएगा।...
अरमान

प्रेम कविता8

कभी कभी मुझे लगता है
मेरे लगने से क्या होता है?
कभी कभी मेरा दिल चाहता है
मेरे चाहने से क्या होता है?
कभी तुझको भी लगे
कभी तेरा भी दिल चाहे
तो बताना जरुर
ना बताने से जिन्दगी अफ़सोस बनके रह जाती है
-अरमान

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