Saturday, 1 June 2013

औरत © armaan anand

वह एक लड़की की तरह दौड़ कर आई
उसने माँ की तरह मुझे सीने से चिपका लिया
वह एक बहन की तरह सुनती रही मेरे दर्द को
एक वेश्या की तरह उसने गम के अपने अन्दर निचोड़ लिया
मुझे मर्द बनाने वाली उस औरत के कई चेहरे हैं
और आज कई चेहरों वाली ये दुनिया मुझे अच्छी लग रही है।
अरमान

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