एक छत जिसे दुनिया पिता कहती है।
एक दीवार जो माँ कहलाती है।
इस घर की खिड़की कितनी हसीन दिखती है ये दुनिया....
जब से घर से निकला हूँ....दुनिया का चेहरा स्याह पड़ता जा रहा है।
दूर से मेरा घर आज हसीन नज़र आ रहा है।...
व्याकरण भाषा का हो या समाज का व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना जिनके अधिकार क्षे...
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