Saturday 1 June 2013

घर

एक छत जिसे दुनिया पिता कहती है।
एक दीवार जो माँ कहलाती है।
इस घर की खिड़की कितनी हसीन दिखती है ये दुनिया....

जब से घर से निकला हूँ....दुनिया का चेहरा स्याह पड़ता जा रहा है।
दूर से मेरा घर आज हसीन नज़र आ रहा है।...

No comments:

Post a Comment

Featured post

कथाचोर का इकबालिया बयान: अखिलेश सिंह

कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की :  जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...