Saturday, 14 January 2017

कविता अरमान

आदमखोर
और हव्वाखोर  चक्रवातों में फंसा हुआ
तुम्हारा यह कवि
संभावनाएं बो रहा है

तुम कविता के इस किसान की कब्र के लिए कुछ फूल उगाओ
कुछ वक्तव्य तैयार करो

सत्ता ने मेरे गर्दन की नाप मेरी दर्जी से खरीदी है
तुम उस दर्जी को कई वादों का सहारा दो
इस विवाद को खत्म करो
©अरमान

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