Sunday 19 March 2017

गौरैया -अरमान आनंद

गौरैया

गौरैया
तुम गायब हो गयी हो
क्या सचमुच गायब हो गयी हो तुम गौरैया ?
कितनी जरुरी थी तुम आँखों के लिए
तुम्हारा न दिखना डर, भय ,आशंका और आकुलता से भर देता है
कहीं तुम काली रात में घूमती सफेद बस में तो सवार नहीं हो गयीं
कहीं सिगरेट के दागों के साथ तो नहीं पायी गयी
पुलिस की किसी रेड में
हॉस्पिटल के पीछे
गर्भ से निकाल फेंकी गयी नवजात
तुम्हीं तो नहीं थी
जिसके लिए सड़क के कुत्ते छीना झपटी कर रहे थे.

गौरैया
बताओ न
तुम्हारी किडनी बिकी कि देह
मेरे घर की प्यारी लक्ष्मी
तुम अभी न उतरी थी आँगन की नीम से
कहाँ छुप्पा हो गयी
मैं तुम्हे ढूंढ के धप्पा बोलूंगा देखना
प्यारी गौरैया तुम्हे पता है
अनुपस्थिति अपने आप में एक राजनीति है
और गायब कर देना
सत्ता का
जादूगरों से भी पुराना खेल
प्यारी गौरैया
ये दुनियां कोई संसद् तो नहीं
जिससे तुम वाक आउट कर गयी हो
गौरैया तुमने एक बार सलीम अली के बारे में बताया था
उनसे पूछूँ क्या तुम्हारा पता
गौरैया बताओ न तुम गुजरात गयी कि पाकिस्तान
तुम्हारा कौन सा देश था गौरैया
तुम किस सरहद पर मारी गयी
तुम किसका लिखा  गीत गाती थी
इकबाल का या इकबाल का
हम तुम्हेँ ही बचाने के नारे लिख रहे थे
और तुम गायब हो गयी गौरैया
मेरी प्यारी गौरैया
कुछ बताओ न बताओ
ये तो बता दो
तुम्हें इश्क में शहादत मिली कि जंग में

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