Sunday, 25 June 2017

प्रिय अनिल यादव के लिए कविता

ये जो सुलगती सिगरेट को
मशाल की तरह उठाये हुए
है जो शख्स
जिंदगी को धुएं में उड़ाए हुए

खेत में खुशियाँ उगाने
हेंगा चला कर आया है

रंजो गम ने पूछा पता
ठेंगा बता  आया है

सभ्यता जिसके शहर में बदनाम है
अनिल यादव उसका नाम है

आईटी सेल कविता

आई टी सेल

करे कबड्डी खो खो खेल
आई टी सेल आईटी सेल

लिखना और पढ़ना फेल
आईटी सेल आईटी सेल

जनता का बिगाड़े मेल
आई टी सेल आईटी सेल

खाते पीते दिमाग का जेल
आईटी सेल आईटी सेल

इंटरनेट hp और dell
आईटी सेल आईटी सेल

ये सब है सत्ता का खेल
आईटी सेल आईटी सेल

कविता अरमान आनंद

आडवाणी
चौराहे पर खड़े गांधी हैं

कहीं जा नहीं सकते
आ नहीं सकते
गांधी के पास लाठी है
लेकिन वे
सर पर बैठा कौआ नही उड़ा नही सकते

चुप चाप
सड़क पर
बलात्कार कर फेकी गयी लड़की को देखते हैं
जिसका चेहरा
भारत माता से मिलता जुलता है

सीमेंट की धोती
आधी फट नही पाती

नंगे समाज की ओर जाती
मुंह काला कर
पृथ्वी पर लेटी हुई सड़क पर

एक नंगी लड़की

ओह
अच्छा हुआ
चश्मे पर कबूतर बीट कर गया है

गांधी की लाठी पकड़
भविष्य की ओर जाता हुआ लड़का
दलालों के कंधे पर बैठ
विश्व भ्रमण पर निकल गया है

आडवाणी
चौराहे पर खड़े गांधी हैं
जिसके सर और चश्मे पर कौवे - कबूतर बीट कर रहे हैं

एक फर्क है

कहते हैं
शहर में कौओं की पहली खेप आडवाणी लाये थे
सुना है उन्होंने
गांधी के बच्चे को लाठी बनने से रोका था

( Ravish Kumar के एक लेख को पढ़कर)

-अरमान आनंद

Saturday, 24 June 2017

पुरानी प्रेमिकाएं अरमान आनंद

पुरानी प्रेमिकाएं
.......................
तुम खुश हो
जानकार खुश होता हूँ

तुम दुखी हो जानकार दुःखी

मेरी भीतर जो स्त्री है
उसे तुम सब ने मिल कर बनाया है
और जो पुरुष है
उस पर
तुम सबका उतना ही अधिकार है
जितना मेरी नई प्रेमिका का

मेरी पुरानी प्रेमिकाओं
तुमसे कभी मैं नफरत नही कर सकता
तुम मेरा गुजरा हुआ वक्त हो
वक्त बेशकीमती होता है

तुमने मेरी खीझ आलस्य गुस्से सबको प्यार दिया है
इतना प्यार
जिसे मैं लौटा नहीं सकता
न लौटाना चाहता हूँ
मुझे कर्जदार की तरह मरने दो
जो तुम्हारे आभाव में फटेहाल दम तोड़ेगा

तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गयी हो
पहले से ज्यादा आत्मविश्वास झलकता है तुम्हारे भीतर
स्त्री टूटकर पहले से ज्यादा मजबूत हो जाती है
पुरुष टूटता है
तो बिखरता चला जाता है

ये जानकार भी कि तुम अब मुझे प्यार नहीं करती
इतना विश्वास है अभी भूली नहीं होगी
ख़ास कर जब तुम अनदेखा करने की कोशिश करती हो
ओह ये तो किसी छोटे बच्चे जैसा है

मैं तुम्हारी आँखों में झांकना चाहता हूँ
ओह
ये आज भी उतनी ही पानीदार हैं

मैं जो ये इतनी दूर खड़ा हूँ
यकीन करो मेरा दिल घुटनो के बल है

मेरी ख्वाहिश है
मैं घर से जब भी बाहर निकलूँ
तुम मिल जाओ मुझे
अकेली ऑफिस जाती हुई
किसी दोस्त के साथ शॉपिंग करती हुई
या
किसी मॉल या सिनेमा हॉल में
अपने पति या प्रेमी के साथ घूमती हुई
या अपने बच्चे को चुप कराती हुई

तुम्हें पल भर देखना
प्यार को एक बार और जीने जैसा है।

अरमान आनंद

विचार अरमान आनंद

भारत के जो मध्यवर्ग मार्क्सवाद का बौद्धिक पोषण करता है वही पूँजीवाद का शरीरिक पोषण भी करता है -अरमान

सेना और पुलिस में वही अंतर है जो गाय और भैंस में है।

बाल अरमान आनंद

बाल
........
बर्फ में दबी हुई
एक लड़की की सबसे पुरानी
ममी

सबसे ज्यादा सही सलामत मिलते हैं बाल

माँ कहती थी
जामुन खाओ बेटा
पेट में गए हुए बाल तक को गला देते हैं

मतलब
बाल अजर अमर चीज़ है
जल्दी
जाता नही दुनियां से

प्रेमिकाएं चली जाती हैं
कमरे से
उनके बाल नही जाते

अरमान

क्षणिकाएँ 2017

1 पांव दबा कर चलने में
चाय
छलक ही जाती है

2

मेरी बाइक के पीछे बैठ
तुम अपनी ठोड़ी
मेरे काँधे से टिका देती हो
जैसे धरती टिकती है आसमान पर

3

वह पुरुष कैसा
जिसके सीने पर भाला
और पीठ पर
नाखून का निशान न हो

4
इस देश में
लाल देख कर
सिर्फ
साँढ़ ही धैर्य नहीं खोता

5

स्त्री विमर्श

पुरुष ने अपने अपराधों का टोकरा
अपनी पत्नी के माथे मढ़ दिया
पत्नी थी
कि
कलंक लिये
सारा शहर घूमती रही

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