Saturday, 24 June 2017

क्षणिकाएँ 2017

1 पांव दबा कर चलने में
चाय
छलक ही जाती है

2

मेरी बाइक के पीछे बैठ
तुम अपनी ठोड़ी
मेरे काँधे से टिका देती हो
जैसे धरती टिकती है आसमान पर

3

वह पुरुष कैसा
जिसके सीने पर भाला
और पीठ पर
नाखून का निशान न हो

4
इस देश में
लाल देख कर
सिर्फ
साँढ़ ही धैर्य नहीं खोता

5

स्त्री विमर्श

पुरुष ने अपने अपराधों का टोकरा
अपनी पत्नी के माथे मढ़ दिया
पत्नी थी
कि
कलंक लिये
सारा शहर घूमती रही

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