Sunday, 25 June 2017

कविता अरमान आनंद

आडवाणी
चौराहे पर खड़े गांधी हैं

कहीं जा नहीं सकते
आ नहीं सकते
गांधी के पास लाठी है
लेकिन वे
सर पर बैठा कौआ नही उड़ा नही सकते

चुप चाप
सड़क पर
बलात्कार कर फेकी गयी लड़की को देखते हैं
जिसका चेहरा
भारत माता से मिलता जुलता है

सीमेंट की धोती
आधी फट नही पाती

नंगे समाज की ओर जाती
मुंह काला कर
पृथ्वी पर लेटी हुई सड़क पर

एक नंगी लड़की

ओह
अच्छा हुआ
चश्मे पर कबूतर बीट कर गया है

गांधी की लाठी पकड़
भविष्य की ओर जाता हुआ लड़का
दलालों के कंधे पर बैठ
विश्व भ्रमण पर निकल गया है

आडवाणी
चौराहे पर खड़े गांधी हैं
जिसके सर और चश्मे पर कौवे - कबूतर बीट कर रहे हैं

एक फर्क है

कहते हैं
शहर में कौओं की पहली खेप आडवाणी लाये थे
सुना है उन्होंने
गांधी के बच्चे को लाठी बनने से रोका था

( Ravish Kumar के एक लेख को पढ़कर)

-अरमान आनंद

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