Tuesday 4 September 2018

कविताएं अंत तलाशती हैं / सूरज सरस्वती

कविताएं अंत तलाशती हैं / सूरज सरस्वती
अज्ञात युगल तलाशता है स्नेह
स्नेह जिसमें छिपा होता है प्रेम प्रेम के पश्चात विरह का आगमन
तलाशता है प्रेम की नवीनतम परिभाषा
सूरज सरस्वती
दो देह तलाशते हैं एकांत
और एकांत तलाशता है एकात्मा
उन दो देहों के आपसी स्पर्श में
सिंदूरी वर्ण तलाशता है रिक्त मांग
अनामिका तलाशती है मिलन की अंगूठी
दो जोड़ी नेत्र तलाशते हैं सम्मान
ईश्वर तलाशते हैं भक्त
जो करें आराधना पवित्र मन से
भक्त तलाशता है ईश्वर में जीवन
जो कवच बन सके उस भक्त का
चंचरीकों की काम क्रीडा तलाशती है
वर्णित पुष्प परागों की सुगन्ध
कहानियां तलाशती हैं नए क़िरदार
काव्य रसों से अवगत कराने को
कविताएं अंत तलाशती हैं
सूरज सरस्वती

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