Wednesday 6 June 2018

वरिष्ठ कवि पंकज चतुर्वेदी की कविता मुग़लसराय सिर्फ़ किसी स्टेशन का नाम नहीं

मुग़लसराय सिर्फ़ किसी स्टेशन का नाम नहीं
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कई बार रेलवे स्टेशन का
प्रतीक्षालय भी
मुझे घर जैसा लगा है
बेशक कम सुविधा
कम इतमीनान
कम समय के लिए
कुछ लोगों का साथ
रहता है

अगर हम वहाँ
रह नहीं सकते
तो घर भी बार-बार
लौट आने के लिए है
रह जाने के लिए नहीं

घर एक सराय है
और दुनिया भी

आराम की जगह
सफ़र में पड़नेवाला
मक़ाम है

इसलिए मुग़लसराय
सिर्फ़ किसी स्टेशन का
नाम नहीं
भारतीय इतिहास की
महान यादगार है

उस नाम को
मिटाने का मतलब है
तुम नहीं चाहते
कि लोग जानें :
कोई यहाँ
कभी आया था
ठहरा था
उसने भी इस देश से
मुहब्बत की थी
इसे बनाया था

तुमको यह भी लगता है
कि तुम इस दुनिया में
रह जाओगे
और जो चले गये
वे कम समझदार थे

पंकज चतुर्वेदी

5 अगस्त, 2017

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