Saturday, 2 June 2018

पंकज चतुर्वेदी की प्रेम कविता मैंने उसे देखा

मैंने उसे देखा

मैंने उसे देखा :
सुंदरता में संपूर्ण
और निरभिमान

जैसे कोई फूल
अपनी पंखुड़ियों की
आभा से अनजान

ठहरी हुई हवा में भी
पीपल के पत्तों का
चंचल और
संगीतमय स्वभाव
या दुख के समुद्र पर
तिरती हुई
प्रसन्नता की नाव

तब यही मेरा प्यार था
कि मैंने अपनी
तकलीफ़ों के
ज़िक्र से उसे
उदास करना नहीं चाहा

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