Friday 1 June 2018

पत्नी पीड़ित पुरुष आश्रम , औरंगाबाद ( महाराष्ट्र )- Er S. D. Ojha

पत्नी पीड़ित पुरुष आश्रम , औरंगाबाद ( महाराष्ट्र )।
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कौवे में नर कौवा हीं बच्चों को पालता है , जब कि मादा कौवा अण्डे देने के बाद कहीं अन्यत्र चली जाती है । इस हिसाब से कौवा पत्नी पीड़ित हुआ । लेकिन जिस मुस्तैदी से नर कौवा बच्चों का लालन पालन करता है , उससे लगता नहीं कि वह दुःखी है । उसी प्रकार पुरुष भी बहुत हीं चुस्ती फुर्ती से रहते हैं , वे कहीं से भी जाहिर नहीं होने देते कि वे पत्नी पीड़ित हैं ।" "मर्द को दर्द नहीं होता " की तर्ज पर वे घर की विखरी हुई चीजों को सहेजते रहते हैं । वे सोचते हैं कि वे अपना दर्द किसी और के पास लेकर जाएंगे तो लोग हंसेगे ।

खिल्ली उड़ाएंगे । कोई भी यकीन नहीं करेगा कि पति भी पीड़ित हो सकता है ! उसे भी प्रताड़ना मिल सकती है । यही मनोभाव पतियों को जुबां सी लेने के लिए मजबूर करता है । पति चुप रहता है , पत्नियां अपनी मनमानी करती रहती हैं । लेकिन अब समय आ गया है कि पति भी खुलकर अपना दुःख दर्द बयां कर सकते हैं । उनके लिए मसीहा बनकर उभरे हैं भारत फुलारे , जो स्वंय भी पत्नी पीड़ित रह चुके हैं ।
           औरंगाबाद महाराष्ट्र से 12 किलोमीटर दूर शिरडी - मुम्बई हाई वे मार्ग पर भारत फुलारे का पत्नी पीड़ित आश्रम बना है । भारत फुलारे ने अपने 1200 वर्ग गज जमीन पर तीन कमरे का एक मकान बनवाया है । एक कमरा तो आश्रम का कार्यालय है , जिसमें थर्माकोल का एक बहुत बड़ा कौवा रखा गया है । इसे सुबह शाम धूप बत्ती दिखायी जाती है । यह इस पत्नी पीड़ित आश्रम का प्रतीक चिन्ह है । इस आश्रम में प्रवेश करने के अपने कुछ नियम हैं । वे पुरुष हीं इस आश्रम में प्रवेश के हकदार हैं  जिन पर पत्नी ने 20 से अधिक केस कर रखे हैं या वे पुरुष जो पत्नी को गुजारा भक्ता न देने की वजह से जेल जा चुके हों । वे पुरुष भी इस आश्रम में प्रवेश के हकदार हैं जिनकी नौकरी पत्नी की शिकायत करने पर चली गयी हो । भारत फुलारे ऐसे पतियों की बकायदा फाइल तैयार करवाते हैं । उन्हें कानूनी सलाह मुहैय्या करवाते हैं । अब तक हजार से ऊपर लोग भारत फुलारे के आश्रम में आ चुके हैं ।
यह आश्रम लोगों द्वारा दिए गये अनुदान से चल रहा है । आश्रम के लोगों को खाना बनाने में प्रवीणता होना भी जरुरी है । कम से कम उन्हें दलिया खिचड़ी तो अवश्य बना लेना चाहिए । यहां जो भी आता है उसे खिचड़ी खिलाकर आश्रम में प्रवेश दिलाया जाता है । पीड़ा के इस संसार में फंसे पुरुषों को हफ्ते में दो दिन काऊंसलिंग की जाती है । उनके अंतर्मन में बहुत गहरे तक पैठे अवसाद को बाहर निकालने की कोशिश की जाती है । आश्रम का सारा खर्च स्वयं आश्रमवासी हीं उठाते हैं । पीड़ा के इस अद्भुत संसार में सब एक दूसरे की मदद करते हैं । भारत फुलारे नहीं चाहते कि कोई और भी उनकी तरह हीं परेशान हो । भारत फुलारे की पत्नी ने जब उनके ऊपर केस किया था तो सारे नाते रिश्तेदार कन्नी काट गये थे । वे बड़ी मुश्किल से उस परेशानी से मुक्त हुए थे ।

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