Monday, 6 May 2019

अरमान आनंद की कविता सत्य

सत्य
जब भी समक्ष होगा सत्य
तुम अचेत हो जाओगे
और नही हुए
तो कम से कम लड़खड़ा तो जरूर जाओगे
सत्य तुम्हारी कल्पनाओं के उलट होगा
एक बात और
देखो सत्य का चेहरा
वह कभी भी
खूबसूरत नहीं होगा
सत्य ही अगर देवता है
तो सोचो उन देवताओं के बारे में
जिनके तुमने मनोहारी रूपों के वर्णन सुने

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