तरो-तूफ़ान का दौर है
खिड़की के बाहर कुछ शाखें अंगडाइया ले रही हैं
हवाएं सांकल बजा बजा कर बुलाती हैं
शायद कोई संदेशा लायी होंगी।
पता नहीं क्यों
हर साल बारिश के इस मौसम में
मेरे तकिये का एक कोना
भींग जाता है।
..................अरमान
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