Sunday, 7 April 2013

अरमान आनंद की प्रेम कविता ध्येय

ध्येय

लो तोड़ो

मेरा दिल तोड़ो

लो खेलो

मेरे दिल से खेलो

तुम्हें आनंद मिलता है

है ना

और मुझे सुकून

क्योंकि

तुम्हारी ख़ुशी ही

ध्येय है मेरा

मेरे प्रेम का।
********अरमान********

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