Thursday, 21 March 2013

अरमान आनंद की प्रेम कविता दंभ

हाय

मैं प्रेम में तुम्हारा ह्रदय जीत

रोज हरता रहता हूँ

रोज

टूटता है

दंभ

की प्रेम में

मेरा पलड़ा भारी है।

******अरमान***********

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...