Wednesday 20 March 2013

अहं ब्रह्मास्मि (कविता) ---अरमान

अहं ब्रह्म अस्मि(कविता)
मैं स्त्री
वहां तुमने या तुम्हारे पुरखों ने
क्या लिखा
मुझे इससे नहीं कोई सरोकार
तुम्हारा ऊपर वाला
ना मुझे रोटी देता है
ना रोजगार मुझे नहीं मतलब
कि
दुनिया परिणाम है
ईश्वरीय दया का
या किसी धमाके अथवा विध्वंश का
मुझे बस पता है
कि मैंने महीनो सेया है
अपने गर्भ में
ब्रह्माण्ड
और फाड़ कर अपना शरीर
जना है
विश्व
..............................अरमान

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