घर से
बाहर की तरफ जाते हुए
मैंने जाना की टूटी है मेरे शर्ट की बटन
लौटा देहरी में
शर्ट पर दौड़ रही थीं
उँगलियाँ
और उँगलियों में नाच रही थी सुई
मेरे सीने के जंगल में गुम हो रही थीं
तुम्हारी गर्म सांसे
तुम्हारे लबों की थिरकन पे ठहरी थी
मुस्कान
तभी अचानक
याद आता है
कल रात
ये बटन
तूने ही तो तोडा था।
--------- अरमान
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