Saturday 11 August 2018

राकेश रंजन की कविता जब मैंने कहा

जब मैंने कहा
-----------------

जब मैंने कहा जात-पाँत खत्म होना चाहिए
उन्होंने मुझे चमरौटा कहा
जब मैंने कहा औरतों को जीने दो अपनी तरह
उन्होंने मुझे भड़ुआ कहा
विधर्मी कहा
जब मैंने कहा धर्म को ढकोसला मत बनाओ

जब मैंने कहा तुम ठीक नहीं कर रहे
उन्होंने मुझे देशद्रोही कहा
कहा देश से निकल जाओ
जब मैंने कहा देश के संविधान ने
हमें बोलने की आजादी दी है
हमें जो सच लगेगा बोलेंगे
तो उन्होंने कहा हम घंटा परवाह
करते हैं

जब मैंने कहा तुम भारत माता की जै बोलते हो
देवी माई और गंगा मैया
और गऊ महरानी की जै बोलते हो
पर औरतों की इज्जत उतारते हो
तुम गुंडे हो
इस पर उन्होंने मुझे पीटा और कहा
कि हमें गुंडा क्यों कहा

जब मैंने कहा कि आप तो करुणावतार हैं
तो वे खुश होकर चले गए
पर अगले हफ्ते फिर आए और कहा
कि तुमने व्यंजना में क्यों कहा
कि हम गुंडे हैं
और पीटने लगे

तब मैंने कहा कि आप मेरी बात का
गलत अर्थ लगा रहे
आपने ही पृथ्वी को उठा रखा है
दाँतों की नोक पर
कि आप तो भगवान के वाराह अवतार हैं साक्षात्
तो वे गद्गद होकर चले गए
पर महीने भर बाद फिर आए और कहा
कि किसी ने हमें कहा है
कि तुमने लक्षणा में हमें सूअर कहा है
और पीटने लगे

इस तरह मुझे बारबार पीटकर
उन्होंने साबित किया
कि वे अहिंसा के अवतार हैं।

No comments:

Post a Comment

Featured post

कथाचोर का इकबालिया बयान: अखिलेश सिंह

कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की :  जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...