Friday 17 August 2018

अरमान आनंद की कविता सुनो

आसमान से झड़ते हैं शब्द
धरती से टकरा कर
सन्तूर से बजते हैं

सुनना
किसी खाली रात में  जब तुम्हारा सीना
आसमान की तरह सजल बादलों से भरा हो

सुनना उसे
जैसे
पड़ोस की छत पर बजते रेडियो को सुनते हो

महसूस करना
जैसे न
होकर भी तुम्हारे पास कोई होता है

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