Sunday, 3 April 2016

शहर लीलाधर मंडलोई



शहर में जब नहीं मिले

सोगहक नरम मूली

बथुआ का साग

पापड़

और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के

गाँव से आये पिता

लौट गये बाज़ार ऐसा ना था कि रोक सके



पृष्ठ ७१ लिक्खे में दुःख

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