शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बथुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गाँव से आये पिता
लौट गये बाज़ार ऐसा ना था कि रोक सके
पृष्ठ ७१ लिक्खे में दुःख
कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की : जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...
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