शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बथुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गाँव से आये पिता
लौट गये बाज़ार ऐसा ना था कि रोक सके
पृष्ठ ७१ लिक्खे में दुःख
वो खुश नहीं है ---------------------- उसने कहा है वो खुश नहीं है ब्याह के बाद प्रेमी से हुई पहली मुलाकात में उदास चेहरे के साथ मिली किसी बाज़...
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