शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बथुआ का साग
पापड़
और चूल्हे से उतरते गरम-गरम फुल्के
गाँव से आये पिता
लौट गये बाज़ार ऐसा ना था कि रोक सके
पृष्ठ ७१ लिक्खे में दुःख
व्याकरण भाषा का हो या समाज का व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना जिनके अधिकार क्षे...
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