एक किसान का दर्द (एक कविता जरुर पढ़े )
माना की मै एक चर्चित इंसान हू ...
एक जागता हुआ किसान हू ...
रात को जागना तो मेरी आदत है ...
किसान फसलो की करता हिफाजत है ....
किसान वो क्या जो सो जाए ....
अपनी ही पीड़ा में खो जाए ...
उसपर लाख बच्चो का भार है ...
चलता उससे बाजार है .....
किसान न जगे तो कौन जाग पायेगा ..
उसकी मेहनत कौन आक पायेगा ...
ये एक इसान ही है ..
जो मेहनत का धनवान है ...
ये इंसान नही "भगवान् " है
जो पालता पेट है लाखो का ...
आज वो कितना परेशान है ...
इसकी आह सुनता सिर्फ भगवान् है ..
लूट रहा इसको शैतान है ....
दिल से निकली आह जिसके
समझो वो "कृष्णा " भी आज उदास है
माना की मै एक चर्चित इंसान हू ...
एक जागता हुआ किसान हू ...
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: कृष्णा की कलम से
http://kkrishanyadav.blogspot.in/2013/03/blog-post_3.html
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