Sunday, 3 April 2016

जब हँसता है कोई किसान जितेंद्र श्रीवास्तव

जब हँसता है कोई किसान 
जितेंद्र श्रीवास्तव

..................................
वह हँसी होती है
महज चेहरे की शोभा
जिसका रहस्य नहीं जानता हँसने वाला
सचमुच की हँसी
उठती है रोम-रोम से
जब हँसता है कोई किसान तबीयत से
खिल उठती है कायनात
नूर आ जाता है फूलों में
घास पहले से मुलायम हो जाती है
उस क्षण टपकता नहीं पुरवाई में दुख
पूछना नहीं पड़ता
बाईं को दाईं आँख से खिलखिलाने का सबब

.........................................
http://www.hindisamay.com/contentDetail.aspx?id=6180&pageno=1

No comments:

Post a Comment

Featured post

कविता वो खुश नहीं है - अरमान आनंद

वो खुश नहीं है ---------------------- उसने कहा है वो खुश नहीं है ब्याह के बाद प्रेमी से हुई पहली मुलाकात में उदास चेहरे के साथ मिली किसी बाज़...