Sunday, 3 April 2016

खरपतवार



खरपतवार


...................


मेरा कोई खेत नहीं

मैं दोस्तों के खेत में

करता था काम

जैसे माँ

फसल आने पर

मैं खेत से बाहर था

जैसे खरपतवार

.............................



लिक्खे में दुःख  लीलाधर मंडलोई पृष्ठ २१

No comments:

Post a Comment

Featured post

व्याकरण कविता अरमान आंनद

व्याकरण भाषा का हो या समाज का  व्याकरण सिर्फ हिंसा सिखाता है व्याकरण पर चलने वाले लोग सैनिक का दिमाग रखते हैं प्रश्न करना  जिनके अधिकार क्षे...