Sunday, 3 April 2016

आत्महत्या के विरूद्ध अनुज लुगुन

आत्महत्या के विरूद्ध 
 
वे तुम्हारी आत्महत्या पर अफ़सोस नहीं करेंगे
आत्महत्या उनके लिए दार्शनिक चिंता का विषय है
वे इसकी व्याख्या में सवाल को वहीँ टांग देंगे
जिस पेड़ पर तुमने अपना फंदा डाला था
यह उनके लिए चिंता का विषय नहीं होगा
वे जानते हैं गेंहूँ की कीमत लोहे से कम है
और इस वक्त वे लोहे की खेती में व्यस्त हैं
लोहे की खेती के लिए ही उन्होंने आदिवासी गाँवों में
सैन्य छावनी के साथ डेरा डाला है
लोहे की खेती के विरूद्ध ही आदिवासी प्रतिघाती हुए हैं
उसी खेती के बिचड़े के लिए उन्हें तुम्हारी जमीन भी चाहिए
तुम आत्महत्या करोगे और उन्हें लगेगा
इस तरह तो वे गोली चलाने से बच जायेंगे
और यह उनकी रणनीतिक समझदारी होगी
वे तुम्हारी आत्महत्या पर अफ़सोस नहीं करेंगे
उन्हें सिर्फ़ प्रतिघाती हत्याओं से डर लगता है
और जब तुम प्रतिघात करोगे
तुम्हारी आत्महत्या को वे हत्याओं में बदल देंगे |
अनुज लुगुन
(
शीर्षक के लिए रघुवीर सहाय का आभार लेकिन यह ठीक उसी रूप में उद्धृत नहीं है |)


 http://www.haribhoomi.com/news/literature/anuj-lugun-poem-farmer-sucide/24012.html से साभार 

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