ओसीडी रोमाण्टिक प्रेम जैसा होता है ।
ओसीडी का मतलब Obsessive compulsion disorder होता है , जो कि मानव मन की एक विकृति है । इस बीमारी में आदमी एक हीं चीज को बार बार करता है । जैसे दिन में कई बार हाथ धोना । यदि आपने हाथ धोया है । किसी साफ चीज को भी छुआ है तो आपको ऐसा लगेगा कि एक बार और हाथ धोना चाहिए । यही बीमारी ओसीडी कहलाती है । ओसीडी पीड़ित व्यक्ति कई तरह की चिंताओं से ग्रसित रहता है । ताला लगाने के बाद भी उसे लगता है कि ताला नहीं लगाया है । वह बार बार ताला चेक करने लगता है । ताला को हिलाने से लेकर वह ताले पर लटकने लगता है । फिर भी जांचने के लिए उसका दिमाग बार बार उसे प्रेरित करता रहता है। रात को सोते समय यह ख्याल आता है कि कहीं गैस खुला न छुट गया हो । पीड़ित व्यक्ति हर चीज को करीने से रखता है । उसका रखने का एक क्रम व रिदम होता है । यदि वह क्रम व रिदम किसी ने भंग कर दिया तो पीड़ित व्यक्ति का वह कोपभाजन बनता है ।
मैं अक्सर रात को ऊपरी मंजिल से उतर कर गेट का ताला चेक करता हूं । हर बार ताला अपनी जगह पर होता है । एकाध बार हीं ऐसा हुआ कि ताला न लगा हो , गाड़ी अंदर न की गयी हो । लेकिन परिवार का बड़ा होने के कारण यह मेरा परम कर्तव्य है । इसे ओसीडी नहीं कहा जा सकता । ओसीडी पीड़ित लोगों को कबाड़ इकट्ठा करने का भी शौक होता है । उन्हें लगता है कि कबाड़ कहीं आगे चलकर काम आ सकता है । वे उसे कबाड़ी को नहीं बेचते । इस तरह से कबाड़ से हीं एक कमरा भरा रहता है । उसमें और इजाफा होता रहता है । औरतों को पुरानी चीजों से बहुत लगाव होता है । नारी वादी मुझे क्षमा करेंगे । जब मैं रिटायर्ड होकर आ रहा था तो बहुत से लोगों ने मेरे स्टार , स्कार्फ , बेल्ट और टोपी की मांग की थी । ऐसी मान्यता है कि रिटायर्ड आदमी के वर्दी से सम्बंधित चीजें लेने से आगे के प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है । लेकिन मेरी श्रीमती जी ने वे सब चीजें यादगार के तौर पर रख लीं । इसे ओसीडी नहीं कहेंगे , पर यह एक खास जेंडर के जातिगत स्वभाव की तरफ जरूर इशारा करता है ।
कुछ ओसीडी पीड़ित लोग पूजा पाठ में काफी समय व्यतीत करते हैं । ऐसा पूजा पाठ किस काम का जो आपके रुटीन वर्क को प्रभावित करने लगे । धर्म और नैतिक विचार जब पागलपन की हद तक आप पर हावी होने लगे तो समझ जाना चाहिए कि वह व्यक्ति ओसीडी से पीड़ित है । आश्चर्य की बात यह कि ओसीडी पीड़ित व्यक्ति यह मानने के लिए तैयार नहीं कि वह ओसीडी पीड़ित है । जब तक ओसीडी पीड़ित को इस बीमारी का भान नहीं होता तब तक इलाज सफल नहीं होता । वैसे भी यह बीमारी इलाज की जद में है ( Treatable ) ,पर इसका स्थायी इलाज (Curable treatment )अभी तक सम्भव नहीं हुआ है । यदि इस बीमारी का 6 माह के अंदर अंदर पता चल जाता है तो इलाज जल्द सम्भव होगा , लेकिन बाद में पता चलता है तो काफी वक्त लग सकता है । पुराने ओसीडी से ईटिंग डिसआर्डर , अवसाद और शीजोफ्रेनिया जैसी कई बीमारियां लग जाती हैं । कुछ लोगों को नशे की लत भी लग सकती है ।
अभी मेडिकल साईंस के इजाद से पता चला है कि यह बीमारी दिमाग के एक खास हिस्से के अनियंत्रित होने से होती है । यह वही हिस्सा है , जिस हिस्से के सक्रिय होने से आदमी रोमाण्टिक होता है । अर्थात् ओसीडी रोमाण्टिक प्रेम जैसा होता है । वैसा हीं जुनून और पागलपन आदमी पर सवार रहता है । आप कह सकते हैं कि रोमांस करने वाले लोग और ओसीडी पीड़ित लोग नफासत पसंद होते हैं । वे चीजों को करीने से सजाकर रखते हैं । गंदगी पसंद नहीं करते । पुरानी चीजों से लगाव रखते हैं (Old is Gold ). रोमाण्टिक लोग भी जिसे चाहते हैं उसे शिद्दत से चाहते हैं । यह नफासत जब हद से बढ़ जाए तो सजा हो जाती है । साहिर के एक गीत में से जब नजाकत हटाकर नफासत रख दिया जाय तो वह गीत इस प्रकार होगी -
हद के अंदर हो नफासत तो अदा होती है ,
हद से बढ़ जाए तो आप अपनी सजा होती है।
No comments:
Post a Comment