कहीं आप नकचढ़ी तो नहीं ?
आज तक किसी मर्द को किसी ने नकचढ़ा नहीं कहा । मैंने भी मर्द के लिए नकचढ़ा विशेषण नहीं सुना । शायद आपने भी नहीं सुना होगा । हां , औरत के लिए यह विशेषण अक्सर सुना है । क्योंकि ब्रह्मा ने शुरू से हीं औरत को नकचढ़ी बनाया है । इसलिए यह विशेषण आज भी उसके साथ चस्पा है । सृष्टि की रचना जब हुई तो अकेले मर्द हीं इस धरा पर अवतरित हुआ । वह घूमा फिरा फिर बोर होकर ब्रह्मा जी के पास जा पहुंचा । ब्रह्मा जी ने तत्क्षण हीं एक औरत का निर्माण किया और उसे मर्द के साथ रवाना कर दिया । मर्द खुश । चलो यह अब आ गई तो मेरा दिल लगा रहेगा । कुछ दिनों बाद वह मर्द से लड़ने झगड़ने लगी । रोना धोना शुरू कर दिया । मर्द का जीना दुश्वार हो गया । मर्द "तुम्हीं ने दर्द दिया है , तुम्हीं दवा देना " की तर्ज पर ब्रह्मा जी के पास जा पहुंचा । रोकर बोला ," भगवन् ! आप इससे मुझे बचा लो । इसके नाज नखरे मैं नहीं उठा सकता । यह बहुत हीं नकचढ़ी है । इसे आप वापस ले लो ।" ब्रह्मा ने उसे शांत कराया । उसे समझाया । कहा , " अब यही तुम्हारी नियति है । इसी नकचढ़ी के साथ तुम्हें जीना है । इस नकचढ़ी के साथ तुम्हें मरना है । इसको तुम्हें आजीवन झेलना होगा ।" तब से आज तक मर्द इस नकचढ़ी को झेल रहा है ।
यह कहने में मुझे अपार हर्ष हो रहा है कि औरत के नकचढ़ेपन में अब काफी कमी आयी है । फिर भी इतिहास में कुछ नकचढ़ियों का बड़े नाम हैं । सबसे पहले मैं जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति राबर्ट मुगाबे के पत्नी का नाम लूंगा । राबर्ट मुगाबे के पतन का कारण उनकी नकचढ़ी बीवी हीं थी । उनकी पत्नी ग्रेस बहुत हीं तुनकमिजाज थी । उसने कई पत्रकारों पर हाथ भी उठा दिया था । राबर्ट मुगाबे का 37 साल का राजनीतिक जीवन खटाई में पड़ गया । उन्हें जेल जाना पड़ा । वे ग्रेस को अपने बाद सत्ता सौंपना चाहते थे । आम लोगों को यह बात पसंद नहीं आयी । नतीजा हुआ सत्ता पर आर्मी का कब्जा । कहते हैं कि कोलम्बस बीवी भी नकचढ़ी थी । इसलिए वह उसे बिन बताए हीं इण्डिया की खोज में निकल पड़ा । वह यदि उसे बताता तो वह हजारों प्रश्न करती - क्यों जा रहे हो ? इण्डिया में कौन है ? किसी और से तुम्हारा टांका तो नहीं भिड़ा ? हड़बड़ी में बेचारा चटकी में दुरुस्ती भूल गया । वह इण्डिया की बजाय अमेरिका पहुंच गया ।
नकचढ़ी तो मुगल शाहजादी रोशनआरा भी थी । उसकी हथेली में एक फोड़ा हो गया था । कितने हकीम आए , वैद्य आए ; पर फोड़ा ठीक नहीं हुआ । वजह खास थी । उसकी सनकपन यह थी कि वह नकचढ़ी थी । नकचढ़ी शाहजादी किसी की नहीं सुनती थी । जो भी दवा फोड़े पर लगायी जाती वह उसे धो देती । उसे रंच मात्र भी जलन गंवारा नहीं था । एक अंग्रेज डाक्टर ने उसका इलाज शुरू किया । उसने फोड़े पर वासलीन लगाना शुरू किया । वासलीन फोड़े पर ठंडक पहुंचाती । साथ हीं उसने शाहजादी को खट्टे फल खाने की सलाह दी । खट्टे फलों में विटामिन सी होती है , जो घाव भरने में लाभप्रद होती है । शाहजादी नकचढ़ी के साथ साथ चटोरी भी थी । उसने खूब चटखारे ले लेकर नीबू संतरा खाए । दस दिन में उसका फोड़ा ठीक हो गया । शाहजहां खुश हो गया । उसने डाक्टर से कुछ मांगने के लिए कहा । डाक्टर ने अपनी कौम के व्यापार पर लगने वाले टैक्स को हटाने की मांग की । टैक्स हटा दिया गया । एक नकचढ़ी शाहजादी की बदौलत भारत पर ब्रिटिश हुकूमत की नींव रखने में अंग्रेज कामयाब हो गये थे ।
नकचढ़ी औरतें खुश रहना नहीं जानतीं । वे इमोशनल होती हैं वह भी अनबैलेंस्ड । क्षण में तोला क्षण में माशा बन जाती हैं । क्षणैः रुष्टा , क्षणैः तुष्टा , रूष्टा तुष्टा क्षणैः क्षणैः । नकचढ़ी औरत के कहने पर हीं आदम ने बर्जित फल खाया था । तब से आज तक मर्द माया मोह के जाल में फंसा हुआ है । उसे औरत को न छोड़े बनता है और न उसके साथ रहते बनता है । भई गति सांप छछूंदर केरी वाली बात हो गयी है । मलाइका अरोड़ा का कहना है कि वह भी नकचढ़ी हैं , मगर शांत हैं । यह बात हजम नहीं हो रही है । नकचढ़ी औरत शांत हो हीं नहीं सकती । मेरे ख्याल में उन्हें खुद हीं नहीं पता कि वे कहना क्या चाह रहीं हैं । हाल फिलहाल उनकी नकचढ़ीपन और तथाकथित शांति के बीच आंख मिचौली चल रही है । हम भी इस नकचढ़ी के सुधरने की प्रतीक्षा में हैं । एक शेर अर्ज है -
लुत्फ उठा रहा हूं , मैं भी आंख मिचौली का ,
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूं ।
No comments:
Post a Comment