Saturday, 3 March 2018

आ बैल मुझे मार (व्यंग्य) -Er S. D. Ojha

                                                          आ बैल मुझे मार
आ बैल मुझे मार का मतलब खुद हीं समस्याओं को निमंत्रण देना होता है । जब समस्याओं को बुलाने वाले हम हैं तो फिर रोना धोना कैसा ? बेहतर है कि समस्याओं का सामना करें । उसका स्वागत करें । एक बेहद पुरानी हमारे किशोर वय की कविता की दो लाइनें याद आ रही हैं -
दुःख को आप बुलाकर घर में स्वागत गान करेगा कौन ?
सुख का स्वाद लिया है तूने , अब विषपान करेगा कौन  ?

लेकिन सवाल यह है कि इस मुहावरे का ईजाद क्योंकर हुआ ? क्या वास्तव में केवल बुलाने मात्र से हीं बैल आकर मारने लगता है ? क्या उसके पास अपनी कोई बुद्धि विवेक नहीं है ? इसे जानने के लिए एक सज्जन वहां पहुंच गए जहां बैल अकसर घूमता रहता था । पहले तो बैल को उन्होंने प्यार से कहा - आ बैल मुझे मार । बैल ने उन पर एक सरसरी निगाह डाली , पर टस से मस नहीं हुआ । उन्होंने जोर देकर कहा - आ बैल मुझे मार । बैल ने कोई प्रतिक्रिया नहींभ दिखाई । अब वे बैल के थुथुन के करीब पहुंच गए । बैल पलट के चल पड़ा । मानों कह रहा हो - अरे , जा बे ! मैं तुझ जैसों के मुंह नहीं लगता । उन सज्जन का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया । बैल को कम से कम प्रत्युत्तर में कुछ तो प्रतिक्रिया देनी थी । यह तो वही बात हुई कि आप किसी खूबसुरत नाजनीन को सलाम करें और वह सलाम कुबुल न करें ।
गुरूर ए हुस्न की इस कदर बेनियाजी तोबा , 
कोई अदा से सलाम करे और सलाम कुबुल न हो ।

उन सज्जन को गुस्सा आ गया । उन्होंने आव देखा न ताव । झट से बैल पर डंडा लेकर पिल पड़े । साथ में चिल्लाते भी जा रहे थे - आ बैल मुझे मार । आ बैल मुझे मार । बैल पूंछ उठाकर भाग खड़ा हुआ । वे बिचारे पीछे से चिल्लाते रह गये - आ बैल मुझे मार । पहले जोर जोर से गुस्से से बाद में करुण क्रंदन में - आ बैल मुझे मार । बैल को मारना नहीं था । इसलिए उसने नहीं मारा । वह हमारे हुक्म का गुलाम नहीं है । जब उसे मारना होगा तब मारेगा । किसी के आदेश का इंतजार नहीं करेगा । बैल को हमने खामख्वाह बदनाम कर दिया है । यह पूरी बैल बिरादरी का अपमान है ।
इस बैल का हमने भी अपमान किया है । ट्राफिक चेकिंग हो रही थी । गाड़ी के कागजात दिखाए । लगे हाथों इंश्योरेंस के भी कागज दिखा दिए । सब इंसपेक्टर ने बड़ी अनिच्छा से उसे लिया । देखा । इस साल का प्रीमियम नहीं भरा था । चालान कट गया । मैंने सोचा - क्या जरूरत थी इंश्योरेंस का कागज दिखाने की । उसने तो मांगा हीं नहीं था । इसी को कहते हैं - आ बैल मुझे मार । हुआ न बैल का अपमान । बैल ने थोड़े हीं कहा था कि इंश्योरेंस का कागज दिखाओ ।
पति पत्नी सड़क पर लड़ रहे थे । बगल में स्कूटर खड़ा था । पति पत्नी को स्कूटर पर बिठा रहा था । पत्नी उसके साथ जाने को तैयार नहीं थी । झगड़ा बढ़ता देख मैंने पति को डांटा । पति के बोलने से पहले हीं पत्नी बोल उठी - "आपको कोई हक नहीं है हमारे अंदरुनी मामले में पड़ने का । आप अपने रास्ते चलो । "  मैं अपना सा मुंह लेकर रह गया । आगे जाकर मैंने पीछे मुड़ कर देखा । पति पत्नी पुनः उलझ पड़े थे । मैं सोचने लगा । कितने प्यार से वे लड़ रहे थे । मुझे क्या जरुरत थी बीच में पड़ने की ? इसी को कहते हैं कि आ बैल मुझे मार । फिर बैल का अपमान हुआ । मैं ऐसा भी तो सोच सकता था - क्या जरूरत थी मुझे दाल भात में मूसलचंद बनने की ?
इसी तरह बैल का अपमान करने में जज भी पीछे नहीं है । आपको 2012 की घटना याद होगी । जब कर्नाटक हाई कोर्ट के जज भक्त वत्सल ने एक तालाक मांगने गई महिला पर टिप्पणी कर दी थी । उनका कहना था कि तुम्हारा पति पीटता है तो तुम्हारा ख्याल भी तो रखता है । बच्चों का लालन पालन भी तो करता है । सारी स्वयं संस्थाएं भड़क गयीं । सारे नारीवादियों ने म्यान से तलवार निकाल लिए । कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जज की अदालत में याचिका आॅन लाइन दाखिल कर दी गयी । भक्त वत्सल को हटाने के लिए धरना प्रदर्शन होने लगे । फेस बुक पर तरह तरह के कमेण्ट आने शुरू हो गये । कोई कोई कहने लगा कि जज ने "पति पीटता है " नहीं कहा था । जज ने कहा था - "पति पिटता है " तो कोई हर्ज नहीं है । पीटता है और पिटता है में जमीन आसमान का अंतर है । सबने कहा - यहां "आ बैल मुझे मार " वाली कहावत चरितार्थ हो रही है । वैसे यहां यह कहावत बहुत फिट बैठती - जज ने उड़ता हुआ तीर पकड़ अपने सीने से लगाया है ।
बैल बिरादरी की कदम कदम पर अपमान हो रहा है । वन्य जीव संरक्षण संस्था भी चुप बैठी है । क्या हमारे प्रधान मंत्री मोदी जी को इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं देना चाहिए था ? क्या बैल हीं मारता है ? भैंसा नहीं मारता है । वह भी तो मारता है । फिर ऐसा क्यों नहीं कहा जाता - आ भैंसा मुझे मार । बैल की सरे आम इज्जत तार तार हो रही है । हम खड़े खड़े उसकी इज्जत सरे आम नीलाम होते हुए देख रहे हैं । इस के लिए दोषी कौन है ? हम हैं । आप हैं । सब हैं । बैल को अब गुस्सा आ रहा है । उसके नथुने फड़क रहे हैं ।  उसे अब " आ बैल मुझे मार " कहने की जरुरत नहीं है । वह अब किसी को भी मार सकता है । सबने जो उसको लूटा है ।
कहां तक नाम गिनवाएं सभी ने मुझको लूटा है ।

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