Tuesday 6 March 2018

आकांक्षा अनन्या की कविताएं

    1
किस्तों में
-------------
हम अपने लेनदार भी रहे
और देनदार भी
दिया तो
अपनी पहचान दे दी
दे दिए सारे के सारे सपने
सारी की सारी ऋतुएँ तुम्हारे नाम कर दीं
उम्र के दो तुम्हारे काम आने वाले पड़ाव दे दिए
तुम्हारे खाने में अपनी हँसी घोल दे दी
तुम्हारी थकान को मार दिया अपनी थकन से
और दिया तो सारा का सारा जीवन उठाकर दे दिया
ये सोचते हुए कि
क्या दुनियाँ की ज्यादातर औरतें
सिर्फ इसलिए तुमसे ज्यादा जिया करतीं हैं
लिया तो
अपने नाम संग तुम्हारे नाम का अधिकार ले लिया
बिंदी,चूनर,चूड़ियाँ,लाल रंग ले लिया
अपनी कोख में तुम्हारा बच्चा ले लिया
लिया तो तुम्हारी जेब से सौ रुपये का नोट ले लिया
ज्यादा नमक वाली सब्जी ले ली
कम मंहंगी वाली टूटी चप्पल बदल ली
थोड़ा संतोष धर लिया
आँसू लिए तो आँचल में समोख के रख लिए
खुशी ली तो मन की तिजोरी में कैद कर ली
मान लिया तो सर पर ताज बना रख लिया
अपमान मिला तो किसी दुपट्टे में
बाँध के गठान धर दिया सन्दूक में
ये सोचते हुए कि
क्यों इतना होते हुए भी
दुनियाँ की ज्यादातर औरतें
खाली हाँथ रह जाती हैं ।
#आकांक्षा_अनन्या

No comments:

Post a Comment

Featured post

कथाचोर का इकबालिया बयान: अखिलेश सिंह

कथाचोर का इकबालिया बयान _________ कहानियों की चोरी पकड़ी जाने पर लेखिका ने सार्वजनिक अपील की :  जब मैं कहानियां चुराती थी तो मैं अवसाद में थ...