क्या आपको जेमिनी स्टूडियो की याद है ?
मेरी उम्र तब 6 वर्ष की थी । हबड़ा ,बंगवासी सिनेमा हाल में "घराना " पिक्चर लगी थी । पिक्चर की शुरूआत में दो जुड़वा बच्चों को विगुल बजाते हुए दिखाया गया था । जिस प्लेटफार्म पर वे खड़े थे , उस पर लिखा था -GEMINI . मतलब कि यह फिल्म जेमिनी स्टूडियो द्वारा बनाई गयी है । जेमिनी स्टूडियो के संस्थापक एस एस वासन थे । उन्होंने इसकी स्थापना सन् 1940 में किया था । उससे पहले यह स्टूडियो MPPCS (Motion Picture Producers' Combines ) के नाम से जानी जाती थी । एस एस वासन ने यह स्टूडियो 86 हजार से कुछ ऊपर रूपए देकर इसे नीलामी में खरीदी थी । इसका नया नाम रखा - जेमिनी स्टूडियो । 1941 में वासन ने मदन कामराजन , के रामनाथ ( कैमरामैन ) , ए के शेखर (आर्ट डायरेक्शन ) के साथ मिलकर इस स्टूडियों में कई परिवर्तन किए ।
जेमिनी स्टूडियो में तमिल , तेलगू , हिंदी व मलयालम भाषाओं की फिल्में बनती थीं । सबसे पहली फिल्म " जीवन मुक्ति " (1942) थी , जो तेलगू में बनी थी । 1948 में जेमिनी के बैनर तले फिल्म " कल्पना" बनी थी , जिसमें सुप्रसिद्ध नर्तक उदयशंकर का नृत्य दर्शाया गया था । दिलीप कुमार और राजकुमार की मशहूर फिल्म।" पैगाम" (1959 ) भी इसी बैनर तले बनी थी । पैगाम के बाद इनकी जोड़ी फिर फिल्म सौदागर (1991) में 32 साल बाद सुभाष घई द्वारा दुहराई गयी । हिंदी फिल्म संसार (1951) भी जेमिनी स्टूडियो के बैनर तले बनी थी । 1955 में दिलीप और देव आनंद की फिल्म इंसानियत आई थी । इस फिल्म के बाद दोनों की कोई और फिल्म एक साथ नहीं आई । जेमिनी स्टूडियो के बैनर तले जो भी फिल्म चाहे जिस किसी भाषा में बनी वह सुपर हिट रही । यहां ज्यादातर ऐतिहासिक फिल्में हीं बनती थीं । विशेषतः दक्षिण भाषा की फिल्मों में ऐतिहासिकता खूब होती थी ।
जेमिनी स्टूडियो में हीं काम करते थे रामा स्वामी गणेशन।
उनका रोमांस अभिनेत्री पल्लवी से चला था । दोनों की बिन शादी एक बेटी हुई , जिसका नाम भानुरेखा रखा गया । यही भानुरेखा आगे चलकर रेखा के नाम से हिंदी फिल्मों की सिरमौर अभिनेत्री बनी थी , जिसने फिल्म उमराव जान में बेहद उम्दा अभिनय किया था । उसने उमराव जान के किरदार को इस कदर जिया था कि वह उसका" न भूतो न भविष्यति " पर्याय बन गई । रेखा के जैविक पिता और जेमिनी फेम रामा स्वामी गणेशन को " रोमांस का राजा " कहा जाता था । जेमनी स्टूडियो के अंतर्गत् रामास्वामी गणेशन ने कई हिट फिल्में दी थीं। बाद के दिनों में उनकी एस एस वासन से नहीं पटी और उन्होंने जेमनी बैनर को छोड़ दिया था । रामास्वामी गणेशन ने वेशक जेमिनी को छोड़ा था , पर वे जेमिनी को कभी भी नहीं भूल पाए । जेमिनी की याद में उन्होंने अपना नाम हीं रामास्वामी गणेशन से बदलकर जेमिनी गणेशन रख लिया था । ज्ञातव्य हो कि विख्यात तमिल लेखक अशोक मित्रम ने भी जेमिनी में स्टोरी राइटर के रूप में काम किया था ।
जेमिनी एक श्रेष्ठ व सफल स्टूडियो होता था । यह दो स्टूडियो को मिलाकर एक बना था । एक बार एक स्टूडियों में आग लगी । सब कुछ जलकर राख हो गया । एस एस वासन दुःखी हो गये । उनका मन फिल्मों से उचट गया । उन्होंने जेमिनी स्टूडियो को बेच दिया । 2002 में कलकत्ता के पार्क होटल ग्रुप्स ने यहां एक 5 सितारा होटल बनाया , जिसका नाम The Park रखा । इस होटल में 214 कमरे हैं , जिसमें डीलक्स (127) , लक्जरी ( 31) , निवासीय (41), 6 ( स्टूडियो ) और प्रेसिडेंशियल कक्ष (1) हैं । फोर्ब्स पत्रिका ने इसे भारत के दस प्रमुख मंहगे व लक्जरी होटलों में शुमार किया है । आज यहां देश विदेश के यात्री आते हैं । ठहरते हैं । खाते पीते हैं । फिर मुंह पोंछकर चल पड़ते हैं । उन्हें क्या पता कि यहां कभी कला मंदिर होता था , जिसमें फिल्में बनती थीं । फिल्में जो उच्च कोटि की होती थीं । आज यूं हीं बैठे ठाले सर्द हवाओं में जेमिनी स्टूडियो याद आ गई तो सोचा कि आप सबसे जेमिनी की पुरानी यादें साझा कर लूं ।
सर्द हवाएं क्या चलीं फिजाओं में ,
हर तरफ तेरी यादों की धुंध विखर गयी ।
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