Monday, 14 May 2018

सोनिया बहुखंडी की कविता माहवारी

माहवारी

(1)

स्कूल में नवीं कक्षा के
लड़कों के बीच धुंध सी फैली थी फुसफुसाहट!

कौतूहल जो बना था उस वक़्त लड़कों की दुखती रग
जो रगों में दौड़ रहा था एक प्रश्न बनकर

खिलखिलाती लड़कियों का झुंड घुसा कक्षा में
रवि ने नीरजा से पूछा कौन सी फ़िल्म थी
जो ख़ास लड़कियों के लिए थी?

जन्नत -2, मुस्कराते हुए नीरजा बोली
लड़कों की रगों में दुःख बहने लगा।
बोले ओह!

(2)

आज नीरजा थकी उदास सी, बेचैन मौसम की तरह
एक दर्द को  उम्र की तरह छुपाती है
हर पल सतर्क, दर्द का कोई दाग न दिखे!

क्या हुआ? रवि ने पूछा---
जन्नत-2 का दर्द है, माँ ने मना किया है जताना मत इस दर्द को लड़कों के सामने।

(3)

सतर्क दाग झांकता है नीरजा के कपड़ो पर
फिर छा जाती है धुंध, लड़कों की कमजोर नस दब जाती है
जबकि नीरजा तैयार हो रही है, भविश्व में जीवन रचने के लिए।

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