Friday, 25 May 2018

अरुण कुमार श्रीवास्तव की कविता तूतीकोरिन

तूतीकोरिन

उनके पास पुलिस है,फौज है,अफसर है,मीडिया है
और उनके हुंकारे भी ।
उनके पास अपनी सिखाई जनता है
विधायिका है,न्यायपालिका है,सम्विधान के पन्ने हैं
और नामी गिरामी वकील भी।
उनके पास गोला है,बारूद है,असलहे हैं.   
 और हथियारों के सौदागर भी।
उनके पास गाड़ी है,घोड़ा है,टमटम है
जहाज है,रफ्तार है,और पायलट भी
उनके पास सांसद है,विधायक हैं,नेता हैं,अभिनेता हैं
सेवक हैं,चाकर है और कुशल वक्ता भी।
वे अदृश्य नहीं,दृश्य हैं,वे ही कानून हैं ,वे ही सरकार है
वे शांतिप्रिय हैं,राष्ट्रवादी हैं,देशभक्त हैं,उनका नाम है दुनिया जहान में।
वे इण्डिया के नुमाइन्दे हैं।
वे इण्डिया के चमकीले चेहरे हैं,भविष्य हैं
कीचड़ सने भारत मे खिले हुए कमल हैं,
विजय चिन्ह दिखाते हाथ का पंजा हैं।
वे  ही श्री श्री हैं,योग गुरु हैं,संत हैं,महन्त हैं,मुल्ला है,पादरी है, फकीर हैं,समाज सेवक हैं,
आध्यात्मिक है,चमत्कारिक कलाकार हैं।
वे सृष्टा हैं,दृष्टा हैं,कर्मनिष्ठ हैं,वस्तुनिष्ठ हैं
वे अमीबा है,स्कार्पियो है देश के संसाधन के
पर अच्छे दिन के वाहक हैं।
वे हिंदुस्तान के मुख पर
तड़ाक से जड़ा हुआ तमाचा हैं और
भूखे नंगे लोगो के लिए योग का पाठ हैं।
वे अलीराजपुर हैं,सिंदूर हैं,बस्तर हैं,मानेसर हैं
गुरुग्राम हैं,आनन्द हैं,सूरत हैं,कोटा हैं
और वे ही तूतीकोरिन हैं।
वे भारत के कॉरपोरेट घराने हैं,देश के अगुवा सरदार हैं।

अरुण कुमार श्रीवास्तव

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