हूबनाथ जी की कविताएं मुझे बेहद पसंद हैं। उनकी "मुसलमान" कविता तो रुला देती है।आप भी पढिये उनकी एक और कविता- विभा रानी
लड़कियाँ
लड़कियाँ
ख़तरनाक होती हैं
उनकी नेलपॉलिश से
रतौंधी हो सकती है
सैनिटरी नैपकिन्स
धर्म की जड़ें हिला देती है
ब्रा से
चूलें हिल जाती हैं
समाज की
नैतिकता की
उड़ जातीं हैंधज्जियाँ
पैंटी की डिज़ाइन से
जूतियाँ
मसल देती हैं धरती को
एड़ियों तले
जीन्स से
डगमगाने लगते हैं
डी एन ए
और सबसे ख़तरनाक तो
लिप्स्टिक्स
बाप रे
लिटरली
आग लगा देती है
और सोचो
अगर इन सबके साथ हो
एक अदद लड़की
तो हो सकती है
कितनी ख़तरनाक
यक़ीन न हो
तो पूछिए
धर्माधिकारियों से
शिक्षाशास्त्रियों से
नीतिनिर्माताओं से
औरों का तो पता नहीं
पर मेरा व्यक्तिगत अनुभव है
लड़कियां होती है
बेहद ख़तरनाक
- हूबनाथ
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