कवि का कबूलनामा
हम हारे
फिर हमने हार पर कविता लिखी !
हमने अन्याय देखा / सुना / सहा
फिर सहने पर कविता लिखी !
हमें बोलना था
पर चुप रहे
फिर इस चुप्पी पर कविता लिखी !
हमें बोलना / लड़ना /
लड़ते हुए लोगों के साथ चलना था
पर जड़वत रहे
और अपनी जड़ता पर कविता लिखी !
हमने हर बार प्रार्थना की
कि और न लिखना पड़े
पर कुछ करने / कर पाने के मामले में
हम बहुत बहुत कमजोर निकले
लिहाजा फिर फिर हारे
फिर फिर
हार पर कविता लिखी।
हम बासी सभ्यता के अग्रदूत ही रहे
भविष्य हमें खारिज करे ।
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