Friday 18 May 2018

अरमान आनंद की प्रेम कविता शहर जिसमें प्रेम छूट गया है

उस शहर का स्वाद नमकीन हो जाता है
जहां आप अपना प्रेम छोड़ आते हैं
उस शहर की रातें गीली
और सुबह की दूब
ओस के भार से हल्की झुकी होती है

उस शहर का चेहरा
प्रेमिका के चेहरे जैसा ही उदास
मकान दुकान मस्जिद मन्दिर गुरुद्वारों की दीवारें बदरंग
होती हैं।
उस शहर के बाग कुम्हलाए होते हैं
उस शहर में फूलों में खुशबू नहीं होती

उस शहर का सूरज आईने पर छूटी हुई बिंदी होता है
उस शहर की छत पर चाँद अकेला आता है

उस शहर गलियों में हवा धीरे धीरे गुजरती है
रात भर जागे हुए शहर के सुबह की आंखें लाल होती हैं
उस शहर की शाम देर से ढलती है
उस शहर में रात
दुनियां की सबसे बड़ी और बेबस रात होती है
रात के अंतिम पहर में शहर धीरे धीरे किसी का नाम पुकारता है।

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