उस शहर का स्वाद नमकीन हो जाता है
जहां आप अपना प्रेम छोड़ आते हैं
उस शहर की रातें गीली
और सुबह की दूब
ओस के भार से हल्की झुकी होती है
उस शहर का चेहरा
प्रेमिका के चेहरे जैसा ही उदास
मकान दुकान मस्जिद मन्दिर गुरुद्वारों की दीवारें बदरंग
होती हैं।
उस शहर के बाग कुम्हलाए होते हैं
उस शहर में फूलों में खुशबू नहीं होती
उस शहर का सूरज आईने पर छूटी हुई बिंदी होता है
उस शहर की छत पर चाँद अकेला आता है
उस शहर गलियों में हवा धीरे धीरे गुजरती है
रात भर जागे हुए शहर के सुबह की आंखें लाल होती हैं
उस शहर की शाम देर से ढलती है
उस शहर में रात
दुनियां की सबसे बड़ी और बेबस रात होती है
रात के अंतिम पहर में शहर धीरे धीरे किसी का नाम पुकारता है।
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