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'बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा' या 'अपने प्रिय राजनेता' पर निबंध लिखिए.एक विद्यार्थी ने दोनों टॉपिक मिलाकर कुछ यूँ निबंध लिखा-
प्रस्तावना-:
यह जानते हुए भी कि दोनों टॉपिक अलग-अलग हैं.मगर जब हमारे पास प्रिय राजनेता के रूप में मोदीजी जैसा महापुरुष उपलब्ध है तो हम दोनों टॉपिकों का विलय करते हुए यह निबंध प्रस्तुत कर रहे हैं.
भारत भूमि के सपूत-:बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा और प्रिय राजनेता नरेंद्रभाई दामोदरदासजी मोदी दोनों भारत भूमि के सपूत हैं.
जन्म-:हालांकि जन्म कहना इन महापुरुषों का अपमान है फिर भी एक अगस्त में पैदा हुआ तो दूसरा सितम्बर में.अगस्त और सितम्बर में यह जानते हुए भी कि बच्चे खूब मरते हैं, इन दोनों ने पैदा होने का साहस दिखाया.यह इनकी वीरता एवं अदम्य साहस का परिचायक है.
अभिनय कला-:दोनों ही अभिनय कला में निष्णात हैं.मोदीजी गांधी-प्रेम का अभिनय अत्यंत कुशलता से करते हैं.विभिन्न रैलियों और यहाँ तक कि संसद में भी मोदीजी की अभिनय कला से देश परिचित होता रहता है.बाबा राम रहीम ने एक वर्ष में ही देश को कई फ़िल्में दीं, जिसमें उनकी अभिनय कला का लोहा सभी ने माना.खैर फ़िल्में तो अपने देश में वैसे ही खूब बनती हैं मगर मोदीजी का विशिष्ट योगदान यह है कि उन्होंने देश को 'सेल्फी' नामक एक नया प्रचार माध्यम दिया, जिससे स्थिर चित्रों में भी अभिनय संभव हो सका.अतः अभिनय की दुनिया में दोनों का विशिष्ट योगदान है.
राम नाम का सहारा -:दोनों ने राम नाम का सहारा लिया.रामनाम का महत्व इसी से समझा सकता है कि जब पत्थर की शिला पर राम नाम लिखने से शिला तैर सकती है, तो ये दोनों क्यों नहीं?दोनों रामनाम के सहारे तैरे और तरे भी.इसलिए एक ने अपने नाम के साथ राम जोड़कर भक्तों के दिलों पर धाक जमाई तो दूसरे ने राम का नाम लेकर दिल्ली में अपना डेरा जमा लिया.
निर्णायक वर्ष-:दोनों महापुरुषों के जीवन में सन 2002 का ऐतिहासिक महत्व रहा है.दोनों ही 2002 में चर्चा में आये.यह वर्ष दोनों के लिए 'टर्निंग पॉइंट' रहा है.इसी वर्ष दो साध्वियों ने अटल बिहारी वाजपेयी को चिट्ठी लिखी.चिट्ठी पढ़कर अटल बिहारी वाजपेयी ने मोदीजी को प्यार से डांटते हुए राजधर्म की याद दिलाई थी.लेकिन फर्क यह है कि 2002 के इनामस्वरूप एक को जेल तो दूसरे का दिल्ली में राजतिलक किया गया.
नाम बड़े दर्शन और भी बड़े-:'बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा' और 'नरेंद्रभाई दामोदरदासजी मोदी' दोनों के नाम लिखने और बोलने में बड़े हैं.दोनों के नाम महापुरुषों के नाम पर आधारित हैं.राम रहीम का महत्व पूरी दुनिया जानती है और विवेकानंद का असली नाम नरेंद्र था.मगर इन दोनों महापुरुषों ने इन पुराने महापुरुषों से अधिक ख्याति अर्जित की.
पत्नी-:जैसा कहा जा चुका है कि दोनों ही महापुरुष भगवान् राम से प्रभावित हैं.जिस प्रकार भगवान राम ने पत्नी सीता का परित्याग किया ठीक वैसे ही उनका अनुकरण करते हुए इन दोनों ही महापुरुषों ने पत्नी को समाज सेवा में बाधक समझ कर उसका परित्याग कर दिया.
दाढ़ी-:राम रहीम और मोदीजी में समानता की वजह दोनों की दाढ़ी भी है.मगर अलग पहचान के लिए एक ने कुतरवाकर छोटी करा ली है.एक की दाढ़ी सफ़ेद है तो दूसरे की काली.मगर इससे क्या फर्क पड़ता है, है तो दाढ़ी ही.दाढ़ी भी महानता की प्रतीक है.गुरू गोलवलकर और आसाराम भी रखते थे.
कर्मभूमि-: हरियाणा राम रहीम और मोदीजी दोनों की जन्मभूमि भले न हो मगर कर्मभूमि है.राम रहीम ने हरियाणा के कई शहरों में डेरों की स्थापना की तो मोदीजी ने दिल्ली में डेरा जमाने की शुरूआत ही हरियाणा के रेवाड़ी से की.
जेल जीवन-:राम रहीम को कोर्ट की दखल के बाद जेल भेज दिया गया.मगर मोदीजी बहुत खुशकिस्मत हैं.लोगों ने कोशिश तो बहुत की थी मगर वे जेल जाने से बच गए.कोर्ट की जांच कमेटी ने उन्हें क्लीन चिट दी.बाद में मोदीजी ने उस जज को साइप्रस का हाई कमिश्नर बना दिया.
भक्त-:भक्तों के मामले में दोनों में समानता है.दोनों की पूंजी मूर्ख भक्त हैं.इस पूंजी के मामले में दोनों एक दूसरे को कड़ी टक्कर देते हुए दिखाई पड़ते हैं.राम रहीम और मोदीजी दोनों के करोड़ों भक्त हैं.ऐसे भक्त जो आराध्य की बुराई बिलकुल नहीं सुन सकते.राम रहीम और मोदीजी दोनों की ताकत उनके भक्तों की अंधभक्ति है.राम रहीम के भक्त गुरुभक्ति में केवल भारत को ही मिटाने की बात करते हैं.मगर मोदीजी के भक्त भारत के साथ पाकिस्तान और देशद्रोहियों का भी समूल नाश करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.
प्रवचन-:राम रहीम डेरे और टी.वी.में प्रवचन देते हैं तो मोदीजी अपने प्रवचनों के लिए ही विश्वविख्यात हैं.'मन की बात' उनके प्रवचन-प्रेम का ही हिस्सा है.
रोड शो-:मोदीजी और राम रहीम दोनों को रोड शो पसंद है.अभी हुए हालिया विधान सभा चुनाव में मोदीजी ने एक ही शहर में तीन-तीन रोड शो किये.राम रहीम ने तो कोर्ट में जाते हुए लगभग आठ सौ गाड़ियों का रोड शो किया.ऐसा रोड शो कि मोदीजी भी दहल गए.
विरोध पसंद नहीं-:राम रहीम और मोदीजी हमेशा सही होते हैं.दोनों गलत हो ही नहीं सकते इसलिए उन्हें बेवज़ह शोर मचाने वाले लोग बिलकुल पसंद नहीं.अतः दोनों ही महापुरुष इन विरोधी दुष्टात्माओं को ठिकाने लगा देते हैं.
संगठन-:दोनों ही ऐसे संगठन की उपज हैं, जो अपनी विशिष्ट समाज सेवा के लिए जाने जाते हैं.समाज सेवा में कभी-कभी हिंसा का भी सहारा लेना पड़ता है.अतः दोनों ही संगठन पर्याप्त संख्या में हथियार रखते हैं.राम रहीम के डेरे से हथियारों का ज़खीरा मिला है.मोदीजी के संगठन का ज़खीरा समय-समय पर देश ने देखा है.मगर यह सब समाज सेवा के लिए है.कहा भी गया है कि 'वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति' .इन संगठनों की स्थापना ईश्वर ने की थी.अतः यह कहना कि दोनों देशभक्त संगठन देश के लिए वरदान हैं, अतिशयोक्ति नहीं होगी.
विदेश प्रेम-:दोनों को विदेश से प्रेम है.मोदीजी ने तो शुरू के दो वर्षों में ही पूरा विश्व भ्रमण कर लिया था.बस पकिस्तान नहीं जा पाए थे.मगर एक बार लाहौर के ऊपर से उड़ते हुए पाकिस्तान में थोड़ी देर के लिए सुस्ता लिए.हाँ, मस्त बिरियानी भी खाई.मोदीजी के विदेश-प्रेम की वजह से लोग उन्हें प्यार से एन.आर.आई.पी.एम.भी कहते हैं.वे अधिकतर विदेश में रहना पसंद करते हैं.उनके शासन के पहले तो लोगों को भारत में पैदा होने में भी शर्म आती थी.मगर उनके बाद विदेशी भी भारत की नागरिकता लेने लगे.राम रहीम ने अपनी समाज सेवा का प्रसार विदेशों में भी करने के लिए डेरे खोल रखे हैं.यही नहीं, वे कोर्ट के निर्णय के बाद भी विदेश दर्शन के लिए बेकरार थे.
रोना-:बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा और मोदीजी दोनों ईश्वर के अवतार हैं.मगर दोनों को लीला करने के लिए कभी-कभार रोना पड़ता है.राम रहीम जेल में रोते हैं तो मोदीजी कई मौकों पर अपने इंसा होने का परिचय कराने के लिए रोये.मोदीजी 2002 में भले ही न रोये मगर संसद के प्रथम दर्शन और जुकरबर्ग से मुलाक़ात के समय खूब रोये.सब प्रभु की लीला है.
भाषा विज्ञान में योगदान-राम रहीम ने भारतीय भाषा को 'माफी' शब्द दिया तो मोदीजी ने देश को 'दिव्यांग' के अतिरिक्त 'डिजिटल इंडिया', 'न्यू इंडिया', 'करेंगे और करकर रहेंगे', 'संकल्प से सिद्धि' जैसे अनेक शब्द और पद दिए.भारतीय भाषा दोनों महानुभावों की सदैव आभारी रहेगी.
हनीप्रीत -:हनीप्रीत बाबा गुरमीत सिंह राम रहीम इंसा की गोद ली हुई बेटी है.मोदीजी की हनीप्रीत मीडिया है.
निष्कर्ष-:उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि 'बाबा गुरुमीत सिंह राम रहीम इंसा' और 'हमारे प्रिय राजनेता' दोनों महापुरुष हैं.
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