हत्यारे
बहुत देर तक प्रतीक्षा करने के बाद जब आखिरकार अखबार नहीं आया तो नारदजी खबर जानने यमलोक गए.यमलोक में काफी सन्नाटा था.चारों तरफ मौत का स्यापा फैला था.मगर यमलोक के लिए यह कोई नयी बात तो थी नहीं.मगर आज मंज़र कुछ बदला-बदला सा लग रहा था.बहुत दिनों बाद आज किसकी मौत हुई कि यमलोक में इतना सन्नाटा है?बहुत साल पहले ऐसे हालात पैदा हुए थे.नारद को देखकर यमराज अपने सिंहासन से हड़बड़ाकर उठे.जल्दबाजी में गिरते-गिरते बचे.
''आइये नारदजी.''
''नारायण नारायण.क्या हुआ यमराज, इतना सन्नाटा क्यों है?और सारे यमदूत कहाँ हैं? ''
''सारे यमदूत हड़ताल पर चले गए हैं.....''
''क्यों ?''
''कह रहे हैं कि धरती पर तो हमसे काबिल यमदूत हैं ही, अब हम कोई दूसरा काम ढूंढेंगे.जैसे नोटबंदी में तमाम लोग बेकार हो गए वैसे ही इन घटनाओं ने तो हमें बेकार कर दिया.जो स्त्री की ह्त्या तक से भी बाज़ नहीं आ रहे हैं, वैसे पृथ्वीवासी यमदूतों के सामने हम कहाँ टिकेंगे?''
'''स्त्री की हत्या?ऐसा जघन्य अपराध कौन करेगा?पृथ्वीवासी तो स्त्री को माँ कहते हैं.''
''कहते थे.अब गाय को कहते हैं.''
''मगर स्त्री की हत्या कौन करेगा?''
''कलियुग है महाराज इसमें हत्या का परमिट धार्मिक लोगों को ही जारी किया गया है.''
''स्पष्ट कहिये.इतनी पहेली क्यों बुझा रहे हैं.वैसे ही सुबह से अखबार नहीं आया है.''
''धरतीवासियों ने स्याही की सप्लाई रोक दी है.....पूछने पर बताया कि अब 'न्यू इंडिया' में स्याही की जरूरत नहीं है.'डिजिटल इण्डिया' में स्याही का काम खून से लिया जाएगा, आखिर सस्ता जो है.''
''स्पष्ट कहिये न.किसने और किसकी हत्या की?''
''हत्याओं का तो लम्बा सिलसिला है महाराज.कितना गिनाएं?''
''फिर भी ये लेटेस्ट वाला क्या मामला है?किसने हत्या की?ये धरती पर हत्याएं करता कौन है?''
''कौन करेगा भगवन्?कट्टर हिन्दू करेंगे.कट्टर मुस्लिम करेंगे.अब तो बौद्ध भी करते हैं.वे करेंगे जिन्हें सच कड़वा लगता है.जो अपने-अपने मज़हब से बहुत प्रेम करते हैं.बुराई सुन नहीं सकते.जिनकी भावनाएं सिर्फ आहत होने के लिए ही होती हैं.
''क्या उनका धर्म इतना कमज़ोर है?''
''हाँ तभी तो.कभी मलाला पर हमले होते हैं, कभी रश्दी पर, कभी तसलीमा पर.''
''हाँ हाँ ठीक है मगर इस समय क्या मामला है?''
''महाराज गौरी लंकेश नाम की एक महिला पत्रकार थी.वह हिंदुत्व की बुराइयों पर लिखती थी.सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करती थी.''
''मगर इसमें गलत क्या है?इसके लिए हत्या? वह भी स्त्री की, नारायण नारायण.''
''हाँ महाराज.कुछ लोगो को अच्छा नहीं लगा.वे उस महिला पत्रकार से मिलने गए.हत्यारों ने पूछा, 'क्या नाम है तेरा ?''
''गौरी.'' उसने कहा.
''लगता है गलत पते पर आ गए.''हत्यारों ने कहा.
''क्या करती हो?''दूसरे हत्यारे ने पूछा.
''पूरा नाम बताओ.''हत्यारों ने फिर सवाल किया.
''गौरी लंकेश.''
''क्या ! लंकेश ?अरे ये तो सनातन संस्कृति का अपमान है.गौरी और लंकेश एक साथ.राम राम.''
''क्या करती हो?''
''अखबार निकालती हूँ.''
''बंद कर दो.''
''नहीं.''
''तो हम तुम्हारी आवाज़ बंद कर देंगे.''
''हिन्दू हो?तीसरे हत्यारे ने पूछा.
''हाँ.'' स्त्री ने कहा.
''हिन्दू के नाम पर कलंक हो.''चौथे हत्यारे ने कहा.
और ताबड़तोड़ कई गोलियां दाग दीं.
''देखा ! आवाज़ बंद कर दिया.खामोश कर दिया साली को.कुतिया बहुत भौंकती थी.'' हत्यारों ने समवेत स्वर में कहा.
''तो क्या आवाज़ बंद हो गयी?''नारद ने पूछा.
''मूर्ख हैं, क्या शब्द भी कभी मरते हैं?इन मूर्खों को इतना भी नहीं पता.गांधी के बाद भी तो इनको यही लगा था मगर क्या आवाज़ बंद हो गयी?नहीं न?''
''हाँ, दाभोलकर, पंसारे और कलबुर्गी के बाद भी इनको यही लगा था.अच्छा तसलीमा किस देश की है?गांधी किस देश के हैं?इनका पता दीजिये मुझे मिलना है.''
''ये किसी एक देश और एक धर्म के नहीं होते हैं.''
''तभी तो ...इनके धर्म और देश वालों को लगता है कि ये देशद्रोही हैं.अधार्मिक हैं.''
हत्यारे यमलोक का दरवाज़ा खटखटा रहे थे.खुलते ही एक गोली यमराज को और एक नारद को लगी.दोनों खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़े.
नारद की गिटार को गांधी ने गिरने न दिया और उस पर अपना प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' गुनगुनाने लगे.
दाभोलकर, पान्सारे और कलबुर्गी गांधीजी से मिलने आ रहे थे क्योंकि जिस देश के वे राष्ट्रपिता हैं वहाँ अब महिलाओं की भी हत्या हो रही है.सत्य का प्रेत यमलोक के चक्कर लगा रहा था.
दूर रेडियो से एक ललकारती आवाज़ आ रही थी, ''आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं.....''
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